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वे अजनबियों के सामने कपड़े क्यों उतारती हैं: अजीबतरीन रोज़गार’ में जानिए कैसी होती है न्यूड मॉडल्स की ज़िंदगी।
NEW DELHI: कृष्णा एक न्यूड मॉडल हैं, जिन्होंने इस पेशे को मजबूरी में ज़रूर अपनाया, मगर आज यह उनका शौक़ और रोज़ी का ईमान बन गया। यह सब आसान नहीं था। ना कपड़े उतारना और ना ही बिना हिल-डुले घंटों बैठे रहना। शुरुआत में जब भी कृष्णा को यह काम करना पड़ता, उनकी आंखों में शरम उतर जाती और पूरा जिस्म दर्द करता। इस मेहनत ने आखिरकार उन्हें मशहूर कर दिया। तभी तो टाइम्स नाउ के इंटरव्यू में कृष्णा ने कहा था, 'बड़े-बड़े लोग कहानी-कविता लिखते हैं। फिल्में बनाते हैं। इसलिए वे दुनिया से जाने के बाद भी ज़िंदा रहते हैं। अब तक मेरी लाखों तस्वीरें और मूर्तियां बन चुकी हैं। दुनिया के पता नहीं किस-किस हिस्से में और किन घरों की दीवारों पर लगी होंगी ये। इस काम ने मुझे जीते जी अमर कर दिया। मैं हमेशा ज़िंदा रहूंगी उन तस्वीरों में।'
दिल्ली यूनिवर्सिटी के आर्ट्स डिपार्टमेंट के पोट्रेट रूम में कृष्णा जब पहली बार पहुंचीं तो मन में कई शंकाएं थीं। लोग क्या कहेंगे? कमरे के अंदर माहौल कैसा होगा? जब पहली बार कपड़े उतारे थे, वह दिन भी उन्हें याद है।
कृष्णा ने उस रोज़गार को चुन लिया था, जिसमें कमरे के अंदर की मूर्तियों और उनमें ज़्यादा फर्क नहीं रह गया था। अंतर था तो सिर्फ धड़कनों और काफी देर के बाद झपकती पलकों का। रंगों की गंध से भरे कमरे में तेज़ रोशनी रखी जाती, ताकि कृष्णा के जिस्म की हर बारीक रेखा भी नज़रों से ओझल ना हो जाए।
कृष्णा कोई प्रोफेशनल मॉडल नहीं। उत्तर प्रदेश के बदायूं की रहने वाली कृष्णा की 14 साल की उम्र में शादी हुई थी। वह उनके पति की दूसरी शादी थी, जिनके पहली शादी से 3 बच्चे थे। बाद में खुद कृष्णा के 2 बच्चे हुए। 5 बच्चों की ज़िम्मेदारी उठाना उनके पति के लिए आसान नहीं था। पूरा महीने 12 घंटे की मेहनत के बाद भी 1500 रुपये मिलते। तब कृष्णा को यह पेशा अपनाना पड़ा। दो हफ्ते में ही जब इस काम से 2200 रुपये मिले तो पति ने शक किया। पता चलने पर चिल्लाया और कहा- आइंदा यह काम मत करना। कृष्णा ने बताया कि जब कॉलेज से एक सर आए और उनके पति को पोट्रेट रूम दिखाकर लाए तो तब जाकर शक दूर हुआ और फिर उन्होंने छतरी लाकर दी थी कि ये लगाकर जाया कर।
nude modelling
पेशे में पैसे तो मिले, साथ में तकलीफें भी बहुत थीं। दिसंबर-जनवरी की ठंड में हीटर चलने के बावजूद न्यूड मॉडल्स का काम आसान नहीं होता। लगातार एक ही पॉश्चर में बैठे रहने से बदन दर्द करने लगता है। खुजलाहट होने पर या नस फड़कने पर उसे भी बर्दाश्त करना पड़ता है, क्योंकि हिलने-डुलने पर पाबंदी होती है। नए बच्चे क्लास में आते हैं तो इन मॉडल्स के लिए एक बार फिर ऐसा होता है, जैसे वे पहली बार सबके सामने कपड़े उतार रही हैं।
सेक्स ही तो है, इतना क्या शर्माना
ऐसी ही कहानी है मुंबई में रहने वाली लक्ष्मी की, इनकी शादी भी कम उम्र में ही हो गई थी। मुंबई में जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में 30 साल से न्यूड मॉडल बन रही हैं। लक्ष्मी के पति की बहुत ज़्यादा शराब पीने से मौत हो गई थी तो उन्हें घर चलाने की फिक्र ने आ घेरा। तब किसी ने न्यूड मॉडलिंग के बारे में उन्हें बताया। वह पहले से यह काम कर रही थीं, लेकिन उन्होंने लक्ष्मी को यह नहीं बताया कि यह काम मिलेगा कैसे।
लक्ष्मी एक दिन ढूंढते-ढूंढते वहां पहुंच गईं जहां वह औरत इस काम के लिए जाती थी। उसने जाकर देखा तो वह बिना कपड़ों के स्टैच्यू बनी खड़ी है। पहली बार यह देखकर दंग रह गई थी लक्ष्मी। उसने तब उस औरत से तमिल में पूछा था- ये क्या काम है। जवाब मिला, यही काम है। मॉडल बनना होता है। लक्ष्मी पहली बार कपड़े उतारते हुए रो पड़ी थीं। मगर चार लड़के और चार लड़की वहां थे, जो उन्हें देखकर पेंटिंग बनाना सीखने वाले थे। उन्होंने उनसे कहा, आप रोइए मत। पता है! आप हमारे लिए भगवान हो। टेंशन मत लो। अब जो आर्टिस्ट सीखकर जाते थे, वे मिलते तो पूछते- ऐ लक्ष्मी, पहचाना मुझे? तो लक्ष्मी का जवाब होता, हां क्यों नहीं। आप तो हमारी पलकों में बसे हो। जब बच्चों ने प्यार दिया तो रोज़गार आसान हो गया।
आर्टिस्ट इन न्यूड मॉडल्स के बारे में कहते हैं कि अगर हम मूर्ति या तस्वीर देखकर पेंटिंग बनाएं तो उनमें वो बात नहीं होती। उनमें जान नहीं होती। मॉडल की बॉडी लैंग्वेज, मसल्स स्टडी, हाव-भाव से पेंटिंग में जान आ जाती है। इस पेशे में मर्द भी होते हैं। न्यूड मॉडल्स की मुश्किलें आम मॉडल्स से अलग होती हैं। मगर स्टूडेंट्स से मिलने वाला प्यार और अपनापना इनके रोज़गार को आसान बनाने में मदद करता है। आज भी जहां रेप के लिए जींस पहनने को ज़िम्मेदार ठहरा दिया जाए, वहां इन मॉडल्स का कपड़े उतारकर बैठना बताता है कि मानसिकता ही अपराध की जननी होती है। कपड़ा जिस्म को ढकता है। रूह को नहीं। और एक चित्रकार कपड़ों और जिस्म से परे होकर रूह को खोजता है, ताकि उसकी पेंटिंग एकदम बोलती हुई नज़र आए।
अजनबियों के सामने कपड़े उतारने के बारे में कृष्णा तो कहती हैं कि क्या होगा इस जिस्म का। एक दिन मर जाना है। मिट्टी में मिल जाएगा हमारा ये शरीर। अगर हमारे शरीर से बच्चे कुछ सीख पा रहे हैं, कामयाब हो पा रहे हैं, तो फिर क्या गलत है। एक न्यूड मॉडल भले चित्रकारों की पेंटिंग में रंग भर रही हो, मगर उसकी ज़िंदगी के रंग बड़े फीके रहते हैं। वह किसी को बता नहीं पाती कि उसका रोज़गार क्या है? आज भी कई न्यूड मॉडल्स छिपकर इस रोज़गार की डोर थामे हैं। कृष्णा और लक्ष्मी इस रोज़गार के वे चेहरे हैं, जिन्हें देखकर हम इस रोज़गार के बारे में बात कर सकते हैं।
12/11/2020 07:38 PM