Delhi
दिल्ली दंगों के मामले में छह मुस्लिम युवक बरी — अदालत ने सबूतों को अपर्याप्त बताया, जमीयत उलमा-ए-हिंद की कानूनी लड़ाई से मिली बड़ी सफलता:
दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े एक अहम मामले में छह मुस्लिम युवकों— गुलज़ार, शहज़ाद, वाजिद, साजिद, शहबाज़ और सलीम—को सभी आरोपों से बाइज़्ज़त बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष न तो आरोप सिद्ध कर पाया और न ही ऐसा कोई ठोस सबूत पेश कर सका, जिससे यह साबित हो कि इन युवकों का दंगों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई हाथ रहा।
अभियोजन पूरी तरह विफल—अदालत का स्पष्ट संदेश
अदालत ने अपने फैसले में दो-टूक कहा कि प्रस्तुत की गई गवाहियों में विरोधाभास था, स्थलीय साक्ष्य अपर्याप्त थे और लगाए गए आरोपों का कोई कानूनी आधार सिद्ध नहीं हो पाया। लूटपाट, आगज़नी और हिंसा जैसी गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमे में पुलिस द्वारा पेश की गई सामग्री “विश्वसनीयता की कसौटी पर खरी नहीं उतरी।”
इस आधार पर अदालत ने सभी छह युवकों को बिना शर्त बरी कर दिया।
जमीयत उलमा-ए-हिंद की बड़ी भूमिका
इन मामलों की पैरवी जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असअद मदनी के निर्देश पर एडवोकेट सलीम मलिक ने की। पाँच साल से अधिक चली कानूनी लड़ाई में जमीयत ने लगातार कानूनी सहायता, मार्गदर्शन और संसाधन उपलब्ध कराए।
जमीयत उलमा-ए-हिंद शुरू से ही दिल्ली दंगा पीड़ितों और आरोपितों की मदद के लिए सक्रिय रही है।
संगठन ने शुरुआती चरणों में लगभग 600 मामलों में ज़मानत दिलाई।
वर्तमान में 267 मामलों की पैरवी की जा रही है।
अब तक 100 से अधिक आरोपी बाइज़्ज़त बरी हो चुके हैं।
इन सभी मामलों की केंद्रीकृत निगरानी जमीयत के सचिव मौलाना नियाज़ अहमद फारूकी कर रहे हैं।
परिवारों में खुशी, जमीयत का जताया आभार
अदालत के फैसले के बाद छहों युवकों के परिवारों में राहत और खुशी का माहौल है। परिजनों ने कहा कि पांच साल से वे मानसिक, सामाजिक और आर्थिक संकट में थे, लेकिन जमीयत का सहयोग उनके लिए उम्मीद की ताकत बना रहा।
परिवारों ने मौलाना महमूद असअद मदनी और एडवोकेट सलीम मलिक के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया और कहा—“अगर जमीयत ने साथ न दिया होता, तो हम इस लड़ाई को पूरा नहीं कर पाते।”
सिर्फ कानूनी नहीं, पुनर्वास में भी अग्रणी रही जमीयत
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने दंगों के दौरान हुए भारी नुकसान की भरपाई और पुनर्वास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन क़ासमी के नेतृत्व में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 165 मकानों का पुनर्निर्माण करवाया गया, 11 मस्जिदों की मरम्मत की गई, तथा 274 दुकानों को दोबारा व्यवस्थित करवाया गया। इन दुकानों में गोकुलपुरी की प्रसिद्ध टायर मार्केट भी शामिल थी, जो दंगों में लगभग पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।
फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में अहम कदम
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अदालत का यह फैसला उन सैकड़ों परिवारों के लिए बड़ी उम्मीद है, जो अभी भी दंगों से जुड़े मामलों में न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह फैसला एक बार फिर बताता है कि न्यायालय केवल सबूतों के आधार पर निर्णय लेता है, न कि अनुमान या दबाव पर।
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा है कि वह हर निर्दोष के लिए कानूनी लड़ाई जारी रखेगी, ताकि किसी भी बेकसूर को गलत आरोपों का बोझ न उठाना पड़े।
11/28/2025 04:05 AM


















