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कपड़ों और किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
एपीजे अब्दुल कलाम: एक सूटकेस में उनके कपड़े तथा दूसरें में उनकी किताबें थीं: और जब वो पांच साल तक राष्ट्रपति रहने के बाद रुख़स्त हुए तो इन्ही दो सूटकेस के साथ.
नई दिल्ली: भारत के इतिहास में पहली बार कोई साइंटिस्ट प्रेसीडेंट बना. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को लोग मिसाइल मैन के नाम से जानते हैं. डॉक्टर अबुल फ़ाख़िर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम न सिर्फ एक अज़ीम साइंटिस्ट बने बल्कि बेमिसाल इंसान भी थे. उन्होंने जिसके साथ भी काम किया उनके दिल को जीत लिया. हम सब जानते हैं कि उन्होंने कितनी जद्दोजेहद के बाद कामयाबी हासिल की. किस तरह तमिलनाडु के शहर रामेश्वरम के आम ख़ानदान से ताल्लुक रखने वाले एक लड़के ने मिसाइल मैन तक का सफर पूरा किया. आज लाखों-करोड़ों लोग उन्हें अपने लिए मिसाल मानते हैं और उनकी बातों पर अमल करते हैं.
जब ख़ानदान वाले मिलने आए दिल्ली
एक बार कलाम का पूरा ख़ानदान उनसे मिलने दिल्ली आया. वो कुल 50 से ज़्यादा लोग थे, जिनमें उनके 90 साल के बड़े भाई से लेकर उनकी डेढ़ साल की परपोती भी शामिल थी. स्टेशन से सभी को राष्ट्रपति भवन लाया गया, जहां वह 8 दिन तक रुके. उनके आने-जाने से लेकर खाने-पीने तक, यहां तक की एक प्याली चाय का खर्चा भी कलाम ने अपनी जेब से दिया. इतना ही नहीं कलाम ने अपने अफ़सरान का भी साफ तौर पर हिदायत दी था कि इन मेहमानों के लिए प्रेसीडेंट हाऊस की कारें इस्तेमाल नहीं की जाएंगी. रिश्तेदारों के खाने-पीने के सारे खर्च का ब्यौरा अलग से रखा गया.
कपड़ों और किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
जब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को प्रेसीडेंट चुना गया था तो उनके इस्तेक़बाल के लिए जोरो-शोरो से तैयारियां की गईं, राष्ट्रपति भवन को खूबसूरती से सजाया गया. ये तमाम तैयारी इसलिए की गई थीं कि मुल्क के नए सद्र का सामान ठीक से रखा जा सके. लेकिन इस बात को काफी कम लोग जानते हैं कि जब अब्दुल कलाम वहां पहुंचे तो वो सिर्फ 2 सूटकेस लेकर पहुंचे थे. एक सूटकेस में उनके कपड़े तथा दूसरें में उनकी किताबें थीं. और जब वो पांच साल तक सद्र रहने के बाद रुख़स्त हुए तो इन्ही दो सूटकेस के साथ. अपने फ़ेयरवेल प्रोग्राम मे उन्होने बेहद ख़ूबसूरत जुमला कहा, बोले विदाई कैसी मेरे साथ तो मुल्क एक अरब लोग है.
कलाम साहब ने बचपन से ही अपने घर के ख़र्चे में हाथ बंटाने के लिए अख़बार बेचना शुरु कर दिया
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पैदाईश 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम ख़ानदान में हुई थी. उनके वालिद का नाम जैनुलाब्दीन था, वालिदा का नाम असीम्मा था . कुल पांच भाई बहिन थे, तीन बड़े भाई और एक बड़ी बहन. उनकी सबसे बड़ी बहन जिसका नाम आसिम ज़ोहरा और तीन बड़े भाई, कासीम मोहम्मद, मुस्तफा कमल, मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई मारिकायर था. वह अपने कुंबे के करीब थे और हमेशा उनकी मदद करते थे, हालांकि वह पूरी जिंदगी कुंवारे रहे. अब्दुल कलाम के पुरखे अमीर कारोबारी और ज़मींदार थे. लेकिन 1920 की दहाई तक, उनका ख़ानदानी कारोबार डूब गया. कलाम जब पैदा हुए तो उनका ख़ानदान ग़रीबी से जूझ रहा था. कलाम साहब ने बचपन से ही अपने घर के ख़र्चे में हाथ बंटाने के लिए अख़बार बेचना शुरु कर दिया. शुरुवाती तालीम से ही अब्दुल कलाम बहुत संदीजा थे और घंटों पढ़ाई करते थे मैथ में उनकी ख़ास दिलचस्पी थी. 1960 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम DRDO में एक साइंटिस्ट के तौर पर शामिल हो गए.
एपीजे अब्दुल कलाम जयंती : प्रेरणादायक कोट्स
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10/15/2020 08:33 AM