Lucknow
28 सितंबर 2018 विवेक तिवारी आईफोन मैनेजर के जैसी मनीष की घटना: कानपुर के व्यापारी मनीष की गोरखपुर के होटल में हत्या पुलिस पर आरोप। लाचार परिवार मुख्यमंत्री पर छोड़ देता फैसला।
गोरखपुर: सिस्टम की इस मौत की कहानी गोरखपुर की है उसी गोरखपुर की जो यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्म भूमि है कानपुर के एक प्रॉपर्टी डीलर 35 साल के मनीष 27 सितंबर को कानपुर से गोरखपुर आते हैं अपने दो दोस्त और बिजनेस पार्टनर प्रदीप चौहान और हरदीप सिंह के साथ तीनों गोरखपुर के रामगढ़ ताल मैं होटल कृष्णा पैलेस में रुकते हैं तीनों दोस्त एक ही कमरे में रुके थे कमरा नंबर था 512 शाम को कुछ बिजनेस मीटिंग के बाद तीनों दोस्त रात का खाना खा कर सो जाते हैं अब तक सब कुछ ठीक था।
रात 12:30 बजे आखिर क्या हुआ
तीनो दोस्त गहरी नींद में थे रात के करीब 12:30 बज रहे थे तभी उनके कमरे की घंटी बजती है और प्रदीप सिंह दरवाजा खोलता है सामने बावर्दी 6 पुलिस वाले खड़े होते हैं इससे पहले कि हरदीप कुछ पूछ पाता सभी छह पुलिस वाले कमरे में दाखिल हो जाते हैं मनीष गुप्ता और प्रदीप अब भी बेड पर सो रहे होते हैं इन थे पुलिस वालों में से एक रामगढ़ ताल थाने का एसएचओ जयंत सिंह भी था, वह हरदीप सिंह को कहता है कि उसे सूचना मिली के होटल में कुछ संदिग्ध लोग रुके हुए हैं ले आजा तलाशी लेने आए हैं शोर सुनकर मनीष और प्रदीप भी जा चुके थे पुलिस वाले सभी से उनका आईडी मांगते हैं तीनों अपनी आईडी प्रूफ देते हैं इसके बाद उनके सामान की भी तलाशी ली जाती है वक्त काफी लग रहा था नींद के झोंके में मनीष अचानक पुलिस वालों से पूछ बैठता है कि क्या मामला है आखिर इतनी रात उनके कमरे में क्या कर रहे हैं परेशान मनीष उसके बाद अपने घर पर फोन करता है उसके भतीजे दुर्गेश गुप्ता को किया था यह बातचीत फोन में रिकॉर्ड हो गई।
फोन रखने के बाद मनीष फिर से पुलिस वालों से पूछता है कि आखिर इतनी देर रात उन लोगों को क्यों परेशान किया जा रहा है साथ ही वह यह भी कहता है कि क्या हम लोग आतंकवादी हैं? मनीष के दोस्त हरदीप सिंह की मानें तो कि मनीष के इतना भर कहते ही पुलिस वाले अचानक भड़क गए जब से वह कमरे में आए थे तभी से बदतमीजी से पेश आ रहे थे हरदीप के मुताबिक कुछ पुलिस वालों ने तो शराब भी पी रखी थी मनीष के इतना भर कहने के बाद अचानक एसएचओ और उसके साथी मनीष की पिटाई शुरू कर देते हैं पहले हाथों से ऑफिस राइफल की बटों से बुरी तरह पिटाई से मनीष लहू लोहान हो जाता है कमरे के फर्श तक खून फैल चुका था पिटाई के बाद जब पुलिस वालों का जी भर गया तब वह मनीष को घसीटते हुए कमरे से बाहर ले गए और फिर गाड़ी में डालकर सीधे अस्पताल ले गए दरअसल पुलिस वालों को भी एहसास हो चुका था कि मनीष की हालत बिगड़ रही है और फिर अस्पताल जाने के कुछ ही देर बाद मनीष ने दम तोड़ दिया अब पुलिस वालों का नशा हिरन हो चुका था बदहवास होकर फिर से पुलिस वाले होटल पहुंचते हैं होटल स्टाफ से कहकर कमरे में से खून साफ करवा देते हैं और साथ ही होटल के सारे कैमरों के सीसीटीवी फुटेज अपने साथ ले जाते हैं ताकि वहां से कोई भी सबूत बचे ही नहीं इतना ही नहीं मौत के बाद पुलिस नाम देती है कि मनीष होटल के कमरे में फर्श पर गिर गया था जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई यानी यह एक हादसा था।
विपिन टाडा एसएसपी गोरखपुर ने कहा
अपराधियों की चेकिंग करते हुए रामगढ़ ताल की पुलिस होटल में गई वहां पर एक कमरे में तीन युवक संदिग्ध अलग-अलग शहरों से आए थे इस सूचना पर पुलिस होटल मैनेजर को साथ में लेकर कमरे की चेकिंग करने गई जहां पर हड़बड़ाहट में एक युवक कि कमरे में गिरने से चोट लग गई दुर्घटना वर्ष हुई इस दुर्घटना से पुलिस ने तत्काल मैनेजर को साथ लेकर युवक को अस्पताल में भर्ती करवाया जहां पर उसका इलाज हुआ बीआरडी में दौरा ने इलाज उस युवक की मृत्यु हो गई।
शायद कत्ल हादसा ही बना रहता मगर दो चीजों ने पुलिस का खेल बिगाड़ दिया पहला मनीष के साथ जो कुछ हुआ उसके दो चश्मदीद थे वह दोनों मनीष के दोस्त और दूसरा मनीष की पोस्टमार्टम रिपोर्ट।
यह रिपोर्ट गवाही दे रही थी के फर्श पर गिरने से ऐसी छोटे नहीं आ सकती जो मनीष के जिस्म पर थी सिर के अलग-अलग हिस्सों में गहरी गहरी चोटें हाथ और सिर्फ पर डंडों और बड़ों के निशान नाक से बहता हो आंख के ऊपर जखम पैरों पर चोट यह तमाम जख्म इस बात के सबूत थे कि मनीष की जान फर्श पर गिरने से नहीं हुई बल्कि पुलिस वालों ने उसकी जान ली है।
मीनाक्षी गुप्ता मृतक मनीष की पत्नी ने कहा
चोट बहुत सारी जगह आई आंख के नीचे नीला निशान सर में गहरी चोटें पिस्तौल से मारने के निशान जिसम में काफी जगह कट के निशान गर्दन पर भी निशान था।
अब तक मनीष की मौत की खबर कानपुर तक पहुंच चुकी थी परिवार भागता हुआ गोरखपुर आया और पोस्टमार्टम रिपोर्ट सबके सामने थी और पुलिस वालों के हाथ पांव पहली बार फूल गए बला टालने के लिए आनन-फानन में मनीष गुप्ता की लाश गोरखपुर से कानपुर भेज दी जाती है पुलिस चाहती थी के सुबह-सुबह मनीष का अंतिम संस्कार भी हो जाए वैसे भी रात के अंधेरे में अंतिम संस्कार कराने में यूपी पुलिस का पुराना तजुर्बा है (हाथरस)।
परिवार हालांकि अंतिम संस्कार को परिवार तैयार नहीं था वह चाहता था कि पहले योगी आदित्यनाथ खुद कानपुर आए और भरोसा दें कि उनके साथ इंसाफ होगा और भरोसा मिलने के बाद अंतिम संस्कार किया गया।
09/30/2021 06:35 PM