Delhi
महापौर ने 17 पार्षदों को किया निलंबित, सदन की कार्यवाही के दौरान हंगामा: तोड़फोड़ करने का आरोप।
दिल्ली। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने आप पार्टी के 17 पार्षदों पर कार्रवाई करते हुए इन्हें 15 दिन के लिए निलंबित कर दिया है। सभी पर सोमवार को सदन की कार्रवाई के दौरान हंगामा करने व सरकारी संपत्ति से तोड़फोड़ करने का आरोप है। महापौर ने इनके खिलाफ निलंबन पत्र जारी करते हुए सदन की कार्यवाही में हुए हंगामे के बारे में भी जानकारी दी है।
सोमवार को दोपहर ढाई बजे पूर्वी निगम की सितंबर माह की सदन की बैठक शुरू हुई। महापौर के मुताबिक सदन की बैठक में उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बातचीत शुरू की। जैसे ही उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों का जल्द निपटारा करने व निगम के भ्रष्ट अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात की, नेता विपक्ष मनोज कुमार त्यागी आम आदमी पार्टी के सहयोगी पार्षदों के साथ उठकर उनकी सीट के सामने आ गए और जमकर नारेबाजी और हंगामा करने लगे।
जब इनको ऐसा करने से रोका गया तो सभी सत्ता पक्ष के पार्षदों से हाथापाई पर उतारू हो गए। इस दौरान पार्षदों के सामने लगे माइक और शीशे तोड़ दिए गए, सरकारी संपत्ति को तहस नहस कर दिया। महापौर ने बताया कि सदन की मर्यादा के खिलाफ आप पार्षदों की कार्यशैली को देखते हुए दो महिला पार्षदों रेखा दीक्षित और रेशमा को छोड़कर बाकी सभी को 15 दिन सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया है।
महापौर ने 10 एल्डरमैन भी किए बर्खास्त
महापौर ने बताया कि सदन का सहयोग करने के लिए 10 एल्डरमैन मनोनीत किए गए थे, इन्हें भी बर्खास्त कर दिया। इनकी नियुक्ति निगम से संबंधित किसी भी विषय पर विशेष सुझाव देने के लिए की गई थी। देखा गया है कि ये हमेशा विपक्ष के साथ मिलकर सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने का कार्य करते हैं। सोमवार को इन्होंने मर्यादाओं को पार किया और सदन में तोड़फोड़ किए जाने में सहयोग किया। महापौर ने बताया कि मुकेश यादव, हबीब उल हसन, राजकुमार गर्ग, घनेन्द्र भरद्वाज, शालिनी सिंह, जितेन्द्र कुमार, रामराज तिवारी और अनीता सिंह सोमवार को हुई घटना में शामिल थे।
नेता विपक्ष आप पार्षद मनोज कुमार त्यागी ने अपने समेत सहयोगियों पर हुई निलंबन की कार्रवाई को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने इसका पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने बताया कि सोमवार को सदन की कार्यवाही में वह भ्रष्टाचार के तीन विषयों पर चर्चा कराने की मांग कर रहे थे, लेकिन भाजपा को मालूम था कि यदि इन विषयों पर चर्चा हुई, तो उनकी पोल पट्टी खुल जाएगी। इसलिए सत्ताधारी भाजपा के पार्षद चर्चा कराने से बचते रहे। उल्टा महापौर ने अपने अधिकारों का गलत प्रयोग करते हुए विपक्ष के सभी निगम पार्षदों को 15 दिनों के लिए निंलंबित कर दिया।
09/28/2021 04:26 AM