Lucknow
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मौत, क्राइम सीन से छेड़छाड़? महंत की मौत के अनसुलझे राज: नेताओं ने दी श्रद्धांजलि।
प्रयागराज। जॉर्ज टाउन।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मौत सवालों के घेरे में है। पुलिस एक 'सूइसाइड नोट' मिलने की बात कह रही है। यह नोट सात-आठ पन्नों का बताया जा रहा है। किसी वसीयतनामे की तरह लिखे गए 'सूइसाइड नोट' में कुछ शिष्यों के नाम हैं। गिरी ने कथित रूप से लिखा है कि कुछ लोगों ने उन्हें झूठे आरोप लगाकर अपमानित किया। वह कौन सी बात थी जो महंत को इतना परेशान कर रही थी? 'सूइसाइड नोट' में विस्तार से लिखा गया है कि महंत के न रहने पर मठ, अखाड़े और हनुमान मंदिर का क्या होगा। पुलिस नोट की फोरेंसिंक जांच करा रही है। समूचा घटनाक्रम इतना संदेहास्पद है कि सवालों का अंबार लग गया है।
क्राइम सीन से छेड़छाड़? महंत की मौत के अनसुलझे राज
पुलिस के आने से पहले क्यों हटाया शव?
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स्थानीय मीडिया के अनुसार, दोपहर 1 बजे महंत ने शिष्यों के साथ भोजन किया। फिर दोपहर साढ़े तीन बजे तक वह रोज आराम करते थे। शाम 5 बजे तक महंत अपने कमरे से बाहर नहीं आए तो शिष्यों का माथा ठनका। दावा है कि चिंता होने पर दरवाजा तोड़ा गया।
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भीतर महंत का शव पंखे से झूल रहा था। इसी वक्त (शाम करीब 5.20 बजे) एक शिष्य बबलू ने पुलिस को महंत नरेंद्र गिरि के आत्महत्या करने की सूचना दी।
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बाघम्बरी मठ तक पुलिस के पहुंचने से पहले ही महंत के शव को पंखे से उतारकर बिस्तर पर रखा गया।
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रिपोर्ट्स के अनुसार, महंत के विश्राम पर जाने से पहले किसी शिष्य ने उनको परेशान हालत में नहीं देखा।
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पुलिस ने मठ का मेन गेट बंद कर तलाशी शुरू की। शव के पास से ही सूइसाइड नोट बरामद हुआ।
सूइसाइड नोट में क्या लिखा है?
महंत नरेंद्र गिरी के शव के पास से मिले कथित 'सूइसाइड नोट' में योग गुरु स्वामी आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को वजह बताया गया है। नोट में लिखी ज्यादातर बातें मठ, मंदिर और गद्दी के उत्तराधिकार से जुड़ी हैं। अपने उत्तराधिकारी के रूप में महंत ने किसी बलवीर नाम के शिष्य का जिक्र किया है। चिट्ठी में लिखा है कि 'मैं सम्मान के बिना नहीं रह सकता। डिप्रेशन में हूं। मैं क्या करूं, कैसे रहूं। आनंद गिरि के कारण मेरी बहुत बदनामी हुई। किस किस को सफाई दें। इससे अच्छा है कि दुनिया से चले जाएं। चंद शिष्यों को छोड़कर सभी ने मेरा बहुत ध्यान रखेगा। मेरे शिष्यों का ध्यान रखिएगा।'
कैसे लिख डाला इतना लंबा सूइसाइड नोट?
पुलिस लाश के पास से कई पन्नों का सूइसाइड नोट मिलने की बात कह रही है। हालांकि सेवादार और नरेंद्र गिरी के शिष्यों का कहना है कि महाराज (महंत) दो लाइन भी खुद से नहीं लिखते थे। जब भी उन्हें कुछ लिखवाना होता तो किसी शिष्य को बुला लेते थे। ऐसे में सात-आठ पन्नों का सूइसाइड नोट उन्होंने कब और कैसे लिखा, यह किसी की समझ में नहीं आ रहा। महंत को लिखते हुए भी काफी कम लोगों ने लिखा। कुछ सेवादारों ने कहा कि सूइसाडइ नोट की पूरी जांच होनी चाहिए। पुलिस फोरेंसिक एक्सपर्ट्स से जांच कराने को कह रही है।
आनंद गिरि कौन हैं? शक के दायरे में क्यों?
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महंत नरेंद्र गिरी के सबसे चहेते शिष्य हुआ करते थे आनंद गिरि। अगस्त, 2000 से आनंद गिरि महंत के संरक्षण में थे। गुरु के पास रहकर मठ और मंदिर का काम संभालने लगे।
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2014 में आनंद गिरि ने खुद को महंत नरेंद्र गिरी का उत्तराधिकारी बताना शुरू किया। तब महंत ने खुद कहा कि आनंद उनके उत्तराधिकारी नहीं, बल्कि शिष्य हैं।
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2021 आया और विवाद चरम पर पहुंच गया। मई में निरंजनी अखाड़ा ने परिवार से संपर्क रखने और गुरु के खिलाफ साजिश के आरोप में आनंद गिरि को निकाल दिया। महंत ने उन्हें बाघम्बरी मठ और बड़े हनुमान मंदिर की व्यवस्था से भी दूर कर दिया।
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आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि गुरु के भी परिवार से संबंध हैं। शिष्य का कहना था कि महंत ने अपने भाइयों, गनर और चहेते शिष्यों के नाम पर करोड़ों की संपत्ति खरीदी है।
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26 मई 2021 को गुरु और शिष्य की लखनऊ में मुलाकात हुई। आनंद गिरि ने बिना शर्त माफी मांगी और महंत ने उन्हें मठ आने की अनुमति दे दी। आनंद गिरि ने ताजा घटनाक्रम के बाद कहा है कि उनका महंत नरेंद्र गिरी से कोई विवाद नहीं था।
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आनंद गिरि ने कहा कि माफी मांगने के बाद गुरु से उनके संबंध ठीक हो गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोगों की मठ की संपत्ति पर नजर है। मुझे रास्ते से हटाने के लिए गुरु से विवाद करवाया गया था।
नायलॉन की रस्सी क्यों मंगाई थी?
पुलिस की शुरुआती जांच में दो प्रमुख सेवादारों की गवाही अहम होगी। बबलू और सुमित की भूमिका पुलिस को अब तक संदिग्ध ही लगी है। अन्य शिष्यों से उनके बारे में और जानकारी जुटाई जा रही है। पूछताछ में पता चला कि महंत ने रविवार को ही रस्सी मंगाइ थी। स्थानीय मीडिया के अनुसार, महंत ने बबलू से कहा था कि कपड़ा सुखाने के लिए नायलॉन की रस्सी चाहिए।
बबलू बाजार से रस्सी लेकर आया मगर यह साफ नहीं कि किस दुकान से और कितने में। यह भी पता चला है कि जब सोमवार शाम तक महंत अपने कमरे से बाहर नहीं आए तो सबसे पहले बबलू और सुमित ही भीतर गए। इन्हीं दोनों ने दरवाजा खोला और महंत के शव को फंदे से उतारा।
क्या आपको महंत नरेंद्र गिरि की मौत में साजिश नजर आती है?
वीडियो के जरिए किया जा रहा था ब्लैकमेल?
एक रिपोर्ट के अनुसार, महंत नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल किया जा रहा था। एक कथित सीडी का जिक्र हो रहा है। इस प्रकरण में सपा सरकार में राज्य मंत्री रहे एक शख्स का नाम सामने आ रहा है। पुलिस ने कॉल डीटेल्स के आधार पर जांच शुरू कर दी है।
मठ की अकूत संपत्ति तो नहीं बनी वजह?
बाघम्बरी मठ और निरंजनी अखाड़े की संपत्तियों को लेकर विवाद पुराना है। सैकड़ों बीघा जमीन बेचने, सेवादारों और उनके परिवार के नाम पर मकान खरीदने को लेकर बार-बार आरोप लगे। मठ के जरिए बड़े हनुमान मंदिर की देखरेख होती थी। कानूनी लड़ाई के बाद महंत नरेंद्र गिरी ने निरंजनी अखाड़े से मठ को अलग करवा लिया। इसके बाद वह मठ और बड़े हनुमान मंदिर के पीठाधीश्वर बन गए।
मई में महंत नरेंद्र गिरी और आनंद गिरि के बीच जो विवाद हुआ, ताजा घटनाक्रम पर उसके प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता। मांडा और रायबरेली में निरंजनी अखाड़े की करोड़ों रुपये की भूमि बेचने पर भी विवाद हुआ। निरंजनी अखाड़े के मठ में दो महंत पहले भी संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे।
ऑस्ट्रेलिया कांड क्या है? सच सामने आने का डर तो नहीं
महंत नरेंद्र गिरी की मौत के बाद इस प्रकरण पर चर्चा शुरू हुई है। दो साल पहले, ऑस्ट्रेलिया में आनंद गिरि को गिरफ्तार किया गया था। सिडनी पुलिस ने आनंद गिरि को शिष्याओं से अमर्यादित व्यवहार के आरोप में अरेस्ट किया था। उन्हें रिहा कराने के लिए महंत नरेंद्र गिरी ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया। जितने मुंह, उतनी बातें... मगर सच नरेंद्र गिरी को पता था। इसी साल जब दोनों में विवाद हुआ, तब नरेंद्र गिरी ने एक अखबार से बातचीत में कहा कि 'आनंद गिरि का व्यवहार संत परंपरा से बदल गया है। ऑस्ट्रेलिया में उनका चरित्र ठीक नहीं था। लड़कियों ने बयान कैसे बदला, यह राज कोई मुझसे पूछे।'
नरेंद्र मोदी- अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेंद्र गिरि जी का देहावसान अत्यंत दुखद है। आध्यात्मिक परंपराओं के प्रति समर्पित रहते हुए उन्होंने संत समाज की अनेक धाराओं को एक साथ जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई। प्रभु उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें। ॐ शांति!!
प्रियंका गांधी- अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत पूज्य श्री नरेंद्र गिरी जी महाराज के देहावसान का दुखद समाचार मिला।
ये सम्पूर्ण समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। महंत जी के अनुयायियों के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं।
ॐ शांति।
अखिलेश यादव- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पूज्य नरेंद्र गिरी जी का निधन, अपूरणीय क्षति!
ईश्वर पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व उनके अनुयायियों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।
भावभीनी श्रद्धांजलि।
अरविंद केजरीवाल- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि जी के निधन का समाचार सुनकर स्तब्ध हूं ईश्वर उनकी पुण्य आत्मा को शांति प्रदान करे व उनके अनुयायियों को ये अपार कष्ट सहन करने की शक्ति दे।
योगी आदित्यनाथ- नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥
प्रयागराज स्थित श्री मठ बाघम्बरी गद्दी पहुंचकर महंत नरेंद्र गिरि जी महाराज के अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि उन्हें अपने परम धाम में स्थान प्रदान करें।
मायावती- देश के प्रख्यात संत व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत श्री नरेन्द्र गिरि जी की मौत की खबर अति-दुःखद तथा जिस परिस्थिति में उनकी मौत की खबर है वह अति-चिन्तनीय। उनके अनुयाइयों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। सरकार जन भावना व मामले की गंभीरता के अनुरूप संतोषजनक कार्रवाई करे।
09/21/2021 08:37 AM