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करुई गांव के किसान बेचन यादव की आत्महत्या पर परिजनों से रिहाई मंच ने मुलाकात की: आय नहीं हुई दोगुनी तो कर्ज में डूबे किसान ने दी जान।
आजमगढ़। जनपद के दीदारगंज थाना क्षेत्र के करूई गांव निवासी 55 वर्षीय बेचन यादव किसान था। फसल के नुकसान आदि के चलते वह आर्थिक रूप से कमजोर हो गया था। जिसके चलते वह खुद के साथ ही अपनी पत्नी सुशीला यादव के नाम से कई बैंकों से कर्ज लिया था। कर्ज की अदायगी के चक्कर में वह अपना काफी खेत भी बेच चुका था लेकिन बैंकों का कर्ज उस पर जस का तस लदा था।
सरकार भले ही किसानों की आय दोगुनी करने और उनके आर्थिक खुशहाली का दावा कर रही हो लेकिन वास्तव में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। आर्थिक तंगी झेल रहे किसान आत्महत्या को मजबूर है। आजमगढ़ जिले में भी शुक्रवार को कर्ज में डूबे किसान ने गांव के सिवान में आम के पेड़ से फंदा लगा कर आत्महत्या कर लिया। तीन दिन पूर्व वह दिल्ली जाने की बात कह कर घर से निकला था और शुक्रवार को उसका शव पेड़ पर लटका मिला।
बेचन 30 मार्च को घर से दिल्ली जाने की बात कह कर निकला था। शुक्रवार को गांव के सिवान में स्थित आम के पेड़ से रस्सी के सहारे लटकता हुआ उसका शव ग्रामीणों ने देखा। सूचना मिलते ही परिजन भी मौके पर पहुंच गए। वहीं पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृतक तीन पुत्रों का पिता बताया गया है। परिजनों के अनुसार परिवार की आर्थिक हालत व कर्ज को लेकर वह काफी दिनों से तनाव में चल रहा था।
रिहाई मंच के सदस्य परिजनों से मिले।
करुई गांव के किसान बेचन यादव की आत्महत्या के बाद परिजनों से रिहाई मंच ने मुलाकात की।
बैंक लोन की वसूली के दबाव को आत्महत्या का प्रमुख कारण मानते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मंच ने मांग की।
सरकार की किसान विरोधी नीतियों की वजह से एक तरफ किसान आंदोलन में साढ़े तीन सौ से ज्यादा किसानों की शहादत हो चुकी है। दूसरी तरफ पूर्वांचल के आज़मगढ़ में बेचन यादव की आत्महत्या ने साबित कर दिया है कि किसान संकट विकराल हो चुका है।प्रतिनिधि मंडल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, तरीक शफीक, मोहम्मद अकरम, विनोद यादव, अवधेश यादव, राजित यादव और मजनू यादव शामिल थे।
पुलिस ने बताया पारिवारिक कलह
कर्ज आदि के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। इतना पता चला है कि मृतक पारिवारिक कलह से परेशान होकर यह कदम उठाया है। परिजन यह बताए हैं कि 30 मार्च को वह दिल्ली कमाने जाने की बात कह कर घर से निकला था। कर्ज आदि के बारे में भी पता लगाया जाएगा। - संजय कुमार सिंह, इंस्पेक्टर, थाना दीदारगंज।
किसान आत्महत्याओं के पीछे अनियमितताएं।
स्टेट ऑफ इंडिया'ज एनवायरमेंट 2021 के मुताबिक, 2019 में 10,200 से ज्यादा किसानों और खेतिहर मजदूरों ने अपनी जान ले ली।
भारत में हर दिन 28 से ज्यादा किसान और खेतिहर मजदूर आत्महत्या करते हैं। यह कहना है डाउन टू अर्थ मैगजीन और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गई इस साल की रिपोर्ट स्टेट ऑफ इंडिया'ज एनवायरमेंट' का। इस रिपोर्ट को आज एक ऑनलाइन कार्यक्रम में देशभर के 60 पर्यावरण विश्लेषकों व कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और शिक्षाविदों की उपस्थिति में जारी किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में 5,957 किसानों और 4,324 खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की। 2018 में ये आंकड़े क्रमशः 5,763 और 4,586 थे।
रिपोर्ट कहती है कि 2019 में 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसान द्वारा आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए। 2018 में 20 राज्यों में किसानों के आत्महत्या के मामले दर्ज किए, जबकि इसी साल 21 राज्यों में खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की। यह आंकड़ा 2019 में बढ़कर 24 हो गया।
कुल मिलाकर, 2019 और 2018 के बीच नौ राज्यों में किसान आत्महत्या में इजाफा देखा गया। ये नौ राज्य हैं - आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, पंजाब, उत्तर प्रदेश व अंडमान व निकोबार द्वीप समूह।
04/03/2021 07:07 PM