Aligarh
के०के अस्पताल के संचालकों सहित बाउंसरों पर झगड़े-अवैध वसूली का मुकदमा दर्ज: जीरो टोलरेंस कहीं जाने वाली भाजपा सरकार की खुली पोल? देखें अलीगढ़ के अस्पतालों का हाल।
अलीगढ़। शुक्रवार को रामघाट रोड स्थित के०के अस्पताल में डॉक्टरों एवं मरीज के तीमारदारों के बीच हुए झगड़े को लेकर आज रविवार को दूसरा मुकदमा भी दर्ज हो गया है, दूसरा मुकदमा रामघाट रोड स्थित प्रमुख के के अस्पताल के संचालक डॉ केके वार्ष्णेय, डॉक्टर सागर वार्ष्णेय, डॉक्टर अभिषेक वार्ष्णेय, डॉक्टर स्वाति वार्ष्णेय, बाउंसर अमरेदर, प्रदीप बाउंसर स्टाफ के साथ 15- 20 अज्ञात व्यक्तियों पर थाना क्वार्सी में आज रविवार को धारा 147, 148, 352, 323, 504, 506, 386 में मुकदमा दर्ज हुआ है, रविवार देर शाम तक सूत्र से मिली सूचना के अनुसार कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
खैर के गांव करसुआ निवासी शिक्षिका रजनी पत्नी नरेन्द्र तोमर को प्रसव पीड़ा पर 20 फरवरी को केके नर्सिंग होम में भरती कराया गया। यहां 21 फरवरी को प्रसव के दौरान महिला ने दो बच्चों को जन्म दिया। नर्सिंग होम प्रबंधन के अनुसार शुक्रवार दोपहर छुट्टी के प्रपत्र तैयार करते समय काउंटर स्टाफ ने नरेंद्र तोमर से 15 हजार रुपये जमा कराने के लिए कहा। इस पर नरेंद्र बिफर गया और उसने रुपये देने का विरोध किया। पहले तो काउंटर स्टाफ व नरेंद्र तोमर के बीच नोकझोंक होने लगी। आरोप है कि नरेंद्र पक्ष ने हाथापाई-मारपीट तक कर दी। हंगामा होते देख केके हॉस्पिटल संचालक पुत्र डॉ. सागर वहां आ गए और उनके सुरक्षा कर्मी भी साथ थे। उनसे भी नरेंद्र पक्ष उलझने लगा।
इसी बीच सूचना पर इंस्पेक्टर क्वार्सी छोटेलाल मय पुलिस बल के मौके पर पहुंच गए। इस दौरान पुलिस के सामने भी अस्पताल डॉक्टर/स्टाफ व तीमारदारों के बीच मारपीट हो रही थी। यह देख इंस्पेक्टर बीचबचाव में आए तो उनका चश्मा तक टूटकर गिर गया। बाद में पुलिस ने बल प्रयोग कर दोनों पक्षों को अलग किया और मौके से डॉक्टर सागर वार्ष्णेय सहित सात लोगों को पकड़कर थाने ले गए। थाने पहुंचकर पता लगा कि इनमें डॉक्टर सागर हैं तो उन्हें छोड़ दिया गया।
सूत्रों ने बताया अन्य अस्पतालों का हाल।
के०के अस्पताल की घटना को देखते हुए प्रशासन निष्पक्ष कार्यवाही कर रहा है। वही मीडिया कर्मी व पुलिस कर्मी रामघाट रोड स्थित चल रहे अस्पतालों की अवैध वसूली को लेकर मरीज के परिजनों की मदद करने एवं इंसाफ दिलाने के लिए निष्पक्ष खड़े हैं।
पूर्व में अलीगढ़ में राजस्थान की पीसीपीएनडीटी एक्ट की टीम ने छापेमारी की। यहां के विष्णुपुरी इलाके में स्थित जीवन सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हुई इस छापेमारी का विरोध डॉक्टर्स और स्टाफ ने किया। टीम ने कार्रवाई से पहले हॉस्पिटल में लिंग परीक्षण का स्टिंग करवाया जिससे हॉस्पिटल में लिंग परीक्षण किए जाने का खुलासा हुआ।
30,000 में हो रहा था लिंग परीक्षण
टीम ने हॉस्पिटल की करतूत सामने लाने के लिए स्टिंग किया। इसके लिए एक साढ़े तीन महीने की गर्भवती अन्नपूर्णा को तैयार किया गया। उसे ग्राहक बनाया गया। झुंझुनू में महेश नाम का जो दलाल हॉस्पिटल के लिए काम करता था टीम ने उससे संपर्क किया। महेश ने लिंग परीक्षण के लिए 30,000 में सौदा तय करवाया।
तो वही कोरोना काल में एक अस्पताल ने पीपीई किट के नाम पर ₹10000 प्रति दिन के हिसाब से बिल मरीज के परिजनों से वसूला जो अखबारों की सुर्खियां बना था।
सूत्र ने बताया कि के०के अस्पताल के सामने बने मैक्सफोर्ट अस्पताल में पशु चिकित्सक डॉक्टर मोहन सिंह को अस्पताल में बंदी बनाए जाने की सूचना पर मीडिया पहुंची, वहां पुलिस पहले से मौजूद थी, डॉक्टर और मरीज के तीमारदारों से रुपए ज्यादा, गलत ओप्रेशन का सामान मंगाने, बंदी बनाने को लेकर विवाद हो रहा था, पशु चिकित्सक का कहना था कि वह मामूली बीमारी (डेंगू की आशंका) के चलते अस्पताल में भर्ती हुए, और उनके परिजनों को दवाइयां मंगाने को लेकर पर्चा दिया गया और ऑपरेशन का सामान मंगाया जा रहा था तभी पशु चिकित्सक ने पर्चे को देखा और वह हैरान रह गए और उन्होंने तुरंत पर्चे को अपने कब्जे में लेकर डॉक्टर से सवाल पूछे, ओर डॉक्टर की बोलती बंद हो गई।
इलाज के नाम पर डॉक्टर से ₹32000 वसूल लिए गए और कुछ रुपए इंश्योरेंस के माध्यम से भी वसूले जा रहे थे, तभी अस्पताल संचालक मरीज को छुट्टी ना देने की जिद पर अड़ गए और पशु चिकित्सक को कमरे में बंद कर दिया और उनसे अधिक पैसे मांगे और तभी छोड़ने की बात की गई, पशु चिकित्सक ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और मीडिया कर्मियों को भी मौके पर बुलाया और अपनी पीड़ा बताई। एवं वहीं अस्पताल में मौजूद डॉ स्वाति द्वारा पशु चिकित्सक की पत्नी के साथ बेहद अपमानजनक रवैया अपनाया गया था, पशु चिकित्सक की सूचना पर मौके पर थाना को आरसी के पुलिस भी पहुंची थी और डॉक्टर चितरंजन द्वारा माफी मंगवा कर मामले को शांत किया गया था।
सूत्र ने बताया कि पिछले दिनों एक मामला किड्स केयर अस्पताल का है जिसमें 3 दिन की बच्ची के इलाज में ₹52000 जमा करने के बावजूद 8000 से ₹9000 प्रतिदिन अस्पताल द्वारा मांगे जाने पर परिजनों एवं अस्पताल संचालक के बीच भी विवाद हुआ था, जिसमें अस्पताल संचालक ने भाजपा के कई नेता सहित छर्रा विधायक को भी बुला लिया था, मौके पर एसएचओ क्वार्सी छोटेलाल भी आ गए और उन्होंने अस्पताल द्वारा मरीज के परिजनों से हो रही अवैध वसूली को खत्म करा कर बच्ची का पूरा इलाज मुफ्त करवाया था।
दोनों प्रकरण में पुलिस द्वारा अहम भूमिका निभाते हुए और क्वार्सी एस०एच०ओ छोटेलाल के माध्यम से तीमारदारों एवं पीड़ितों को प्राइवेट अस्पतालों से मरीजों के परिजनों से हो रही अवैध वसूली से इंसाफ दिलाया गया था।
02/28/2021 05:15 PM