Delhi
कृषि कानूनों को लेकर किसानों के साथ मुस्लिम समाज AIMPLB शामिल: भाजपा सरकार को किसान आंदोलन से राजनीतिक और आर्थिक कितना नुक़सान?
नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि किसानों का आंदोलन देश में अन्याय के खिलाफ उम्मीद की नई रोशनी लेकर आया है। सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'देश में होने वाली नाइंसाफी के खिलाफ बहुत सारे संगठन वर्षों से जागरुकता फैलाने की कोशिश करते रहे हैं। यह आंदोलन कश्मीर से कन्याकुमारी तक उम्मीद की नई रोशनी लेकर आया है।
सज्जाद नोमानी ने कहा, 'आप लोगों को अहसास हुआ कि अब बहुत हो चुका और आवाज उठाने का फैसला किया। आप के नेतृत्व का धन्यवाद। हम सब में यह भरोसा फिर से जगा है कि देश में अंधेरा छंटने वाला है और अब इंसाफ बहुत दूर नहीं है.' यह आंदोलन आरंभ होने के बाद से वह अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से इसका समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मुस्लिम समाज की तरफ से मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि हम आपके साथ खड़े हैं और आपसे कहना चाहते हैं कि आप उम्मीद मत खोइए और अपनी लड़ाई जारी रखिए।
तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी देने की मांग के साथ पंजाब, हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों किसान दो महीनों से अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने सितंबर में तीनों कृषि कानूनों को लागू किया था. सरकार ने कहा था कि इन कानूनों के बाद बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसानों को देश में कहीं पर भी अपने उत्पाद को बेचने की अनुमति होगी. वहीं, किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।
राजनीतिक/आर्थिक संकट में फंसी भाजपा?
अब किसान आंदोलन की वजह से केंद्र की बीजेपी सरकार की माथे पर चिंता की लकीरें साफ़ दिखने लगी है। इसका एक इशारा मंगलवार को मिला, जब पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'जाटलैंड' कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के नेताओं के साथ इस बारे में चर्चा की।
इस बैठक के बाद इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान तो सामने नहीं आया, लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ बीजेपी का ख़ुद का आकलन है कि 40 लोकसभा सीटों पर किसान आंदोलन असर डाल सकता है। इसलिए बीजेपी अध्यक्ष ने नेताओं से अपने-अपने इलाक़े में नए कृषि क़ानूनों पर जनता के बीच जा कर जागरूकता अभियान तेज़ करने के लिए कहा है।
यह स्पष्ट है कि बीजेपी किसान आंदोलन से चिंतित है, फिर भी क़ानून को लागू करने लिए अटल निश्चय किए बैठी है।
एम०एस०पी क़ानून को लागू करने के लिए मोदी सरकार को एक बड़ी क़ीमत चुकानी भी पड़ रही है. राजनीतिक क़ीमत का एक अंदाज़ा तो सरकार ने ख़ुद लगा लिया है, लेकिन उनके इस फ़ैसले का तात्कालिक आर्थिक नुक़सान भी देखने को मिल रहा है।
02/17/2021 05:47 PM