Aligarh
कैप्सूल में विश्वविद्यालय के इतिहास को सुरक्षित रखने की तैयारी
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के 100 साल हुए पूरे: राष्ट्रपति कोविंद के एएमयू के शताब्दी समारोह में शामिल होने की संभावना है।
अलीगढ़: एएमयू अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने 100 साल पूरे किए। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद आभासी मोड में विविधता के शताब्दी समारोह में भाग लेने की संभावना है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद इस महीने के अंत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के ऑनलाइन शताब्दी समारोह में भाग लेने की संभावना है, कुलपति तारिक मंसूर ने कहा। प्रोग्राम की तारीख को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा।
विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने पर एएमयू समुदाय को एक खुले पत्र में, वी सी तारीक मंसूर ने कहा कि 1 दिसंबर 1920 को इस संस्था की स्थापना के लिए गजट अधिसूचना सरकार द्वारा जारी की गई थी।
वीसी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने पहले एक महीने के उत्सव की योजना बनाई थी लेकिन यह COVID-19 महामारी के कारण नहीं हो सका। एएमयू के प्रवक्ता राहत अबरार ने कहा कि इस महीने ऑनलाइन उत्सव मनाए जाने की उम्मीद है, जिसमें विश्वविद्यालय के सचित्र इतिहास को दर्शाने वाली कॉफी टेबल बुक की ऑनलाइन रिलीज शामिल होगी।
"विश्वविद्यालय ने संस्थान के एक सौ साल के इतिहास को जीर्ण-शीर्ण कर दिया है, जिसे उच्च-तकनीकी समय कैप्सूल में संरक्षित किया गया है और इस महीने के अंत में एक भूमिगत तिजोरी में दफन किया जाएगा। शताब्दी समारोह के एक हिस्से के रूप में विश्वविद्यालय ने एक खजाने की कब्र को पुनः प्रकाशित किया है। इस संस्था के इतिहास से संबंधित अभिलेखीय सामग्री और पुस्तकें, जिसमें इसके संस्थापक पिता द्वारा दुर्लभ पुस्तकें भी शामिल हैं, "उन्होंने कहा।
250 से अधिक पाठ्यक्रम उपलब्ध, दुनिया के पांच महाद्वीपों से आते हैं छात्र
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 250 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और शिक्षक मोहम्मद अब्दुल जलील सिद्दीकी कहते हैं कि अपने समय के महान समाज सुधारक सर सैयद अहमद खां ने आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता को उसी समय महसूस कर लिया था। उन्होंने 1875 में स्कूल शुरू किया जो बाद में मोहम्डन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज बना। बाद में यही कॉलेज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में सामने आया। यहां पढ़ने वाले विदेशी छात्रों में अफ्रीका, पश्चिमी एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, सार्क और राष्ट्रमंडल देशों के हैं। यह विश्वविद्यालय सभी जाति धर्म और समुदायों के छात्रों के लिए खुला हुआ है।
यहां पढ़कर कोई बना प्रधानमंत्री तो किसी को मिला भारत रत्न
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद यहां के विद्यार्थी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के साथ-साथ दूसरे देशों में भी प्रधानमंत्री की भूमिका तक पहुंचे। देश तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और खान अब्दुल गफ्फार खान को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। एएमयू से पढ़े हामिद अली अंसारी 2007 से 2017 तक देश के उप राष्ट्रपति रहे। पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने 1913 में एएमयू से उच्च शिक्षा ग्रहण की थी। लियाकत अली खान ने एएमयू से लॉ और पॉलिटिकल साइंस की डिग्री ग्रहण की थी। अली अशरफ फातमी ने यहां से शिक्षा ली। अशरफ भारत सरकार के पूर्व मानव संसाधन राज्यमंत्री रहे। दिल्ली के सीएम रहे साहिब सिंह वर्मा, पूर्व क्रिकेटर लाला अमरनाथ, कैफी आजमी, राही मासूम रजा, मशहूर गीतकार जावेद अख्तर के साथ ही फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने भी एएमयू से पढ़ाई की। शिक्षा के क्षेत्र में प्रोफेसर इरफान हबीब, ईश्वरी प्रसाद, भौतिक शास्त्री प्यारा सिंह गिल, उर्दू कवि असरारुल हक मजाज, शकील बदायूनी, प्रोफेसर शहरयार, जावेद अख्तर आदि शामिल हैं।
कैप्सूल में विश्वविद्यालय के इतिहास को सुरक्षित रखने की तैयारी
अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इसके इतिहास को एक टाइम कैप्सूल में सुरक्षित रखकर जमीन में दफन करने की तैयारी भी की जा रही है। इसके पीछे एएमयू की मंशा है कि विश्वविद्यालय के इतिहास को आने वाली पीढ़ी को आसानी से समझाया जा सके। एएमयू का यह इतिहास टाइम कैप्सूल में डिजिटल और प्रिंट दोनों ही फॉर्मेट में होगा। टाइम कैप्सूल को दफनाने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में 4 स्थान चयनित किए गए हैं। इनमें कहा जा रहा है कि विक्टोरिया गेट के सामने टाइम कैप्सूल दफनाने के लिए मन बना भी लिया गया है।
सफर में दुश्वारियां भी रहीं
अलीगढ़। एएमयू के इतिहास के मामलों के जानकार उर्दू अकादमी के डायरेक्टर डॉ. राहत अबरार कहते हैं कि 1920 से 1965 तक एएमयू अच्दी तरह से चलता रहा। 1965 से 1972 के दौरान सरकारों ने कई तरह की पाबंदी लगा दीं। 1961 में अजीज पाशा नाम के शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाते हुए एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से मना कर दिया था। बाद में 1981 में केंद्र सरकार ने फिर से कानून में संशोधन किए और अल्पसंख्यक दर्जा दिया। आम सहमति से बिल पास हुआ। एएमयू को इसी बिल के पास होने के बाद से अब तक अल्पसंख्यक होने का दर्जा मिला।
12/01/2020 06:56 PM