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दिल का दौरा पड़ने पर सीपीआर का लाइव डेमो देकर दिया प्रशिक्षण:
अलीगढ़। दिल का दौरा पड़ने वाले लोगों को जीवन-घातक स्थिति से बचाने के लिए सीपीआर कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) प्रशिक्षण का लाभ उठाने की सलाह दी है। एन०एस०एस कार्यालय ए०एम०यू अलीगढ़ पर नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन की टीम द्वारा हॉल में एक सीपीआर प्रशिक्षण और नशीली दवाओं का दुरुपयोग कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। मंच का संचालन श्रीमती निसार जहां, सीनियर नर्सिंग अधिकारी ने किया।
एन०ओ०ए के मीडिया प्रभारी आशिक अली, नर्सिंग अधिकारी ने बी०एल०एस के बारे में जानकारी दी यह एक आपातकालीन जीवन-रक्षक प्रक्रिया है जो दिल की धड़कन बंद होने पर की जाती है।
सीपीआर में बताया कि जब दिल धड़कना बंद कर देता है या मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों में रक्त पंप करने में बहुत अक्षम होता है, तो यह जीवन बचाने में मदद कर सकता है।
एन०ओ०ए जनरल सेक्रेटरी रिंकू चौधरी जो कि आठ साल से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, ए एम यू में नर्सिंग अधिकारी पद पर कार्यरत हैं और है और ACLS/ BLS सर्टिफाइड है और उन्होंने कहा कि सीपीआर उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जिन्हें गंभीर समस्या है और आपातकालीन स्थिति में अस्पताल जाने से पहले सांस लेने में परेशानी हो रही है. यह सुझाव दिया गया है कि सीपीआर सीखना सभी के लिए बहुत उपयोगी है, यह कहना संभव नहीं है कि यह कब और कहाँ उपयोगी होगा।
इसे जरूरत मंद व्यक्ती को कोई भी, कही भी CPR (सीपीआर) दे सकता है और बताया कि हर किसी को सीपीआर सीखना चाहिए और दिल के दौरे को रोकने के लिए दूसरों को भी सिखाना चाहिए। सीपीआर एक आपातकालीन प्रक्रिया है जिसमें छाती पर दबाव डाला जाता है, जिसे अक्सर कृत्रिम वेंटिलेशन या मैन्युअल मुंह से मुंह में सांस दिया जाता है।
प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थियों को मैनिकिन के माध्यम से दिखाया गया कि जब कोई व्यक्ति बेहोश होकर गिर जाए तो सीपीआर कैसे करना है।
नशीली दवाओं का दुरुपयोग पर सीनियर नर्सिंग अधिकारी श्रीमती निशार जहां ने विद्यार्थियों को इससे दूर रहने के लिए समझाया।
छात्रों के साथ "मादक द्रव्यों के सेवन" पर एक संवादात्मक सत्र आयोजित किया। अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि ड्रग्स ऐसे पदार्थ हैं जो सेवन के बाद व्यक्ति की धारणा, मनोदशा, सोच प्रक्रिया और व्यवहार को बदल देते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ ड्रग्स जैसे ओपियोड ऐसी दवाएँ हैं जो अत्यधिक प्रभावशाली दर्द निवारक हैं लेकिन जब समय के साथ अधिक मात्रा में ली जाती हैं तो आदत बन जाती हैं। उन्होंने कहा कि नींद की गोलियाँ, खांसी की दवाएँ और दर्द निवारक दवाएँ आदत बनाने वाली होती हैं और इसलिए इनका इस्तेमाल सावधानी से और डॉक्टर के पर्चे के साथ किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि पेट्रोल, डीजल, नेल पॉलिश रिमूवर, पेंट जैसे आसानी से उपलब्ध वाष्पशील विलायक भी ड्रग्स के रूप में उपयोग किए जाते हैं और अत्यधिक हानिकारक और नशे की लत होने के कारण, इनका हल्का नशा भी मस्तिष्क को बहुत नुकसान पहुँचाता है। उन्होंने आग्रह किया कि ड्रग एडिक्ट को चरित्रहीन व्यक्ति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में सोच-समझकर निर्णय लेने के लिए सशक्त बनें, क्योंकि उन्हें अपने जीवन में लिए गए निर्णयों के साथ जीना होगा और इसलिए बेहतर भविष्य के लिए नशे से दूर रहना होगा।
अपने जीवन का सबसे बड़ा समय। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति या तो साथियों के दबाव, प्रयोग करने और नशे में होने के प्यार, ड्रग्स के बारे में गलत धारणाओं या जीवन के शोरगुल से बचने के लिए नशीली दवाओं के सेवन में शामिल हो जाता है।
इस कार्यक्रम में चीफ गेस्ट प्रोफ़ेसर फरहा आज़मी, प्रिंसिपल कॉलेज ऑफ नर्सिंग, प्रोफ़ेसर सैय्यद अली नवाज ज़ैदी, डिप्टी प्रॉक्टर एएमयू, गेस्ट ऑफ ऑनर सिराजुद्दीन, प्रेसिडेंट नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एएमयू अलीगढ, डॉ अरशद हुसैन प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर नेशनल सर्विस स्कीम, नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एएमयू की और से प्रेसिडेंट सिराजुद्दीन वाइस प्रेसिडेंट शाकिर हुसनi जनरल सेक्रेटरी रिंकू चौधरी जॉइंट सेक्रेटरी कामिल कुरेशी कन्वीनर आशिक अली, ट्रेजरार साजिद, आजम ऑफिस सेक्रेटरी बालवीर भाटी, जगदीश प्रजापत, इंदु शर्मा, सबिहा, लुबना, और अन्य साथी मौजूद रहे , और नेशनल सर्विस स्कीम की टीम और 150 से ज़्यादा विद्यार्थियों ने भाग लिया।
11/15/2024 03:41 AM