Delhi
भारत के वीर सपूत और 'नौशेरा के शेर' ब्रिगेडियर मो० उस्मान की पुण्यतिथि पर उन्हें देश श्रद्धांजलि दे रहा:
नई दिल्ली। देश आजाद होते ही जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तानी हमला हुआ और कुछ इलाके दुश्मन के कब्जे में चले गये। उसी दौरान भारतीय सेना के एक अधिकारी ने प्रण लिया कि जब तक अपनी जमीन से दुश्मन को खदेड़ नहीं देंगे, तब तक पलंग पर नहीं सोयेंगे। उनका प्रण सच्चा था। उनके नेतृत्व में भारत ने एक-एक करके अपने इलाकों से दुश्मनों को खदेड़ दिया। इसके बाद उनके लिए पलंग मंगवाया गया, लेकिन ब्रिगेड के मुख्यालय पर कोई पलंग ही नहीं था। इसलिए पास के गांव से एक पलंग उधार लाया गया और उस जीत की रात वे पलंग पर सोए।
ये थे भारतीय सेना के जांबाज सिपाही और 'नौशेरा के शेर' कहे जाने वाले ब्रिगेडियर उस्मान।
देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने ब्रिगेडियर उस्मान को ऑफर दिया कि वे पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष बन जाएं, लेकिन ब्रिगेडियर उस्मान ने भारत में रहने का फैसला किया। बाद में उन्होंने पाकिस्तान को ऐसा छकाया कि परेशान होकर पाकिस्तान ने उनपर 50,000 रुपये का इनाम रख दिया।
पाकिस्तान की ओर से हमला हुआ तो कबाइलियों ने राजौरी, नौशेरा और झंगड़ जैसे कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था। ब्रिगेडियर उस्मान ने अभूतपूर्व बहादुरी और कुशल नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए एक के बाद एक इलाके को दुश्मन के कब्जे से मुक्त कराया और आखिरकार देश की सुरक्षा के लिए शहीद होकर सर्वोच्च बलिदान दिया। नौशेरा की लड़ाई में उनकी बहादुरी के चर्चे इतने मशहूर हुए कि उन्हें 'नौशेरा का शेर' कहा जाने लगा।
शहादत के बाद ब्रिगेडियर उस्मान का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया तो उनके जनाजे में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अपने कैबिनेट के सहयोगियों के साथ शामिल हुए थे। मरणोपरांत उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। ब्रिगेडियर उस्मान भारतीय सेना के इतिहास में अब तक शहीद होने वाले सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। उनकी शहादत पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।
07/03/2022 12:09 PM