Crime
गोरखपुर। मनीष गुप्ता हत्याकांड: SIT ने नौ लोगों के दर्ज किए बयान: इंस्पेक्टर अब तक फरार।
गोरखपुर आई एसआईटी ने रविवार की रात एक बजे तक मौका-ए वारदात से लेकर मानसी हास्पिटल और मेडिकल कालेज में दस्तावेजों के आधार पर पड़ताल की और सोमवार से घटना से किसी न किसी रूप में जुड़े लोगों के बयान दर्ज करना शुरू किया। सोमवार को मनीष गुप्ता के स्थानीय दोस्त चंदन सहित नौ लोगों का बयान दर्ज हुआ। मंगलवार को भी यह सिलसिला जारी रहेगा।
कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत के बाद हत्यारोपित रामगढ़ताल थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर जेएन सिंह और चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा घटना की रात ही खुद को बीमार बताकर फरार हो गए थे। इसका खुलासा थाने की जीडी (जनरल डायरी) से हुआ है। घटना की रात ही सर्विस रिवाल्वर, कारतूस को इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज ने जमा कर दिया था। साथ ही थाने का सीयूजी नंबर भी सुपुर्द कर दिया गया था। जीडी मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। जीडी में तथ्यों का उल्लेख करने के दौरान कई सच छिपाए गए हैं।
थाने की जीडी में लिखे गए झूठ की तस्दीक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज व अन्य साक्ष्यों से हुई है। जीडी में लिखा है- ‘मनीष के घायल होने पर पुलिस वाले उसे जिला अस्पताल लेकर गए थे और फिर वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।’ यह सफेद झूठ है। एसआईटी ने झूठ पकड़ भी लिया है। मानसी अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे इस बात की गवाही दे रहे हैं कि मनीष को लेकर पुलिस जिला अस्पताल नहीं गई थी। घटना के बाद मनीष को पहले मानसी अस्पताल, फिर मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था।
मेडिकल कॉलेज में भी भर्ती के लिए बनवाए गए दो पर्चों में भी मानसी अस्पताल का ही जिक्र है। साफ है कि मनीष को जिला अस्पताल नहीं ले जाया गया था। जीडी में यह भी जिक्र है कि मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराने की कोशिश की गई थी, लेकिन डॉक्टराें ने देखते ही मृत घोषित कर दिया था। अगर ऐसा था, तो मनीष को भर्ती कराने के दो पर्चे कैसे बन गए? 20 मिनट तक किस मनीष का इलाज हुआ? जीडी और हकीकत के बीच के झूठ को एसआईटी ने भी पकड़ लिया है।
आला अफसर के आदेश पर गए थे जांच करने
इंस्पेक्टर जगत नारायण ने जीडी में लिखा है कि एसएसपी की 27 सितंबर को जटेपुर में मीटिंग थी। वहां से निकलने के बाद क्षेत्र में भ्रमण पर थे, तभी अधिकारियों का मौखिक आदेश होटल/ढाबा चेकिंग का आया था। इसके बाद चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा व हमराह को लेकर होटल कृष्णा पैलेस में गए थे। जहां पर मैनेजर के साथ रूम नंबर 512 की जांच की गई। आईडी चेक की गई, इस दौरान एक व्यक्ति हड़बड़ाकर मुंह के बल गिर गया। घायल को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
गलतबयानी : मनीष के घायल होने के बाद बुलाए पुलिस कर्मी
जीडी में इंस्पेक्टर जेएन सिंह ने लिखा है कि होटल में चेकिंग के दौरान हड़बड़ाकर गिर जाने के बाद मनीष घायल हो गए, फिर पुलिस वालों को बुलाया गया। उप निरीक्षक विजय यादव और उप निरीक्षक राहुल दुबे को हमराही ने फोन कर बुलाया था, फिर सरकारी जीप से ये लोग मनीष को लेकर जिला अस्पताल गए थे। जहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। मनीष की मौत के बाद विजय और राहुल यादव को निगरानी के लिए छोड़ दिया गया था। वहां से हमराही, चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव, प्रशांत कुमार के साथ वापस कृष्णा होटल पहुंचे थे। वहां पर कानून व्यवस्था को देखा गया और फिर अधिकारियों को भी जानकारी दी गई। दोनों हमराहियों को थाने छोड़कर फिर कांस्टेबल प्रवीण कुमार पांडेय, अंकित कुमार सिंह, सचिन कुुमार यादव को साथ लेकर पुन: मेडिकल कॉलेज गए जहां पहुंचकर मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम की कार्रवाई के लिए शांति व्यवस्था बनाई गई। मृतक के परिजनों के पहुंचने से पहले ही वापस थाने आ गए। तबीयत खराब होने पर अक्षय मिश्रा को रवाना किया गया, फिर मैं (इंस्पेक्टर) बीमार होने की वजह से इलाज कराने जा रहा हूं।
10/06/2021 11:31 AM