AMBAH-MADHYA PRADESH
शिखरजी बचाओ अभियान के अंतर्गत 21 दिसंबर जैन समाज का भारत बंद का ऐलान।:
अंबाह। शिखरजी जैनियों का सबसे पवित्र स्थान है। 24 में से 20 तीर्थंकरों ने यहीं मोक्ष प्राप्त किया था।आज ये मात्र पिकनिक स्थल बन गया है, जहां लोग खुलेआम मांसाहार और शराब का सेवन करते हैं। जैन पवित्र स्थान को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सम्मेद शिखरजी भारत के झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले में सबसे ऊंचे पर्वत पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है। यह सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल है। यह वह स्थान है जहां चौबीस जैन तीर्थंकरों में से बीस तीर्थंकर को मोक्ष प्राप्त हुआ था। दिल्ली-कोलकाता राजमार्ग ग्रैंड ट्रंक रोड से लगभग 4,480 फीट तक फैला हुआ यह स्थल NH-2 पर स्थित है। शिखरजी को सम्मेद शिखर यानी "एकाग्रता का शिखर" भी कहा जाता है।
शब्द "पारसनाथ" तेईसवें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ से लिया गया है, उन्होंने इस स्थल पर मोक्ष प्राप्त किया था। सौरभ जैन वरेह वाले अंबाह ने जानकारी देते हुए कहा कि 21 दिसंबर को समस्त भारत वर्ष मे जैन समाज अपने प्रतिष्ठान बंद करके आंदोलन करेगा। 11 दिसंबर को विश्व जैन संगठन जंतर मंतर दिल्ली पर आंदोलन किया गया , वही मुनि विहर्ष सागर महाराज जी के सानिध्य में 18 दिसंबर को लाल किला दिल्ली में शिखरजी बचाओ आंदोलन किया गया। जैनियों ने राज्य सरकार की पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना का विरोध करते हुए शिखरजी बचाओ आंदोलन किया जा रहा है।
शिखरजी हिल को झारखंड सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर पूजा स्थल के रूप में घोषित करने की मांग की थी। 26 अक्टूबर 2018 को, झारखंड सरकार ने शिखरजी पहाड़ी को 'पूजा स्थल' घोषित करते हुए एक आधिकारिक ज्ञापन जारी किया।शिखरजी सिर्फ एक तीर्थ नहीं, महातीर्थ है। इसे जैनियों द्वारा शाश्वत गिरिराज माना जाता है। हम नंगे पांव 27 किलोमीटर की वंदना करते हैं और इसे पूरा करने तक भोजन और पानी से परहेज करते हैं। और आप इसे टूरिस्ट स्पॉट और मीट बेचने की तरह विकसित करना चाहते हैं।24 में से 20 तीर्थंकर ने इस पर्वत पर मोक्ष प्राप्त किया। हम लोगों के लिए ये वैसा ही है जैसे मुस्लिम समुदाय के लिए मक्का-मदीना। पूरा इलाका मांस-मदिरा प्रतिबंधित क्षेत्र है। लेकिन नए साल पर 3 तारीख को बंगाल के मेदिनापुर से कुछ यात्री आए थे शिखरजी में। ये लोग मेन रोड से घुसकर शिखरजी के एक-डेढ़ किलोमीटर में ही पार्टी कर रहे थे। मुर्गा, मछली बना खा रहे थे।
समाज के लोगों ने देखा, विरोध हुआ। थाना प्रभारी की मौजूदगी में वहां से उन लोगों को निकाला गया। इस मामले को लेकर गिरडीह प्रशासन को आवेदन दिया गया।हमारा पहला कर्तव्य है अपने धर्म और तीर्थों की रक्षा करना।और हम सभी को एकता और अखंडता दिखानी होगी। तभी हम अपने तीर्थ और धर्म की सही तरीके से रक्षा कर पाएंगे।
12/20/2022 06:28 PM