Bhopal
पदोन्नति में आरक्षण मामला : MP मंत्रिपरिषद की उप समिति की बैठक में नहीं हो पाया कोई फैसला: अजाक्स की जिद, अनारक्षित पदों पर भी उन्हें पदोन्नति का हक मिले
भोपाल। रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन
पदोन्नति में आरक्षण के मसले को सुलझाने के लिए गठित मंत्रिपरिषद की उप समिति की बैठक में मंगलवार को भी कोई फैसला नहीं हो पाया। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में समिति ने कर्मचारी संगठनों की भी राय ली, लेकिन अनुसूचित जाति-जनजाति कर्मचारी संघ (अजाक्स) इस बात पर अड़ा हुआ है कि उन्हें अनारक्षित यानी सामान्य वर्ग के पदों पर भी पदोन्नति मिलनी चाहिए। इसके लिए संगठन 1956 की उन परिस्थितियों का हवाला दे रहा है, जब सामान्य वर्ग के कर्मचारियों का प्रतिशत अधिक था और आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व कम था गौरतलब है कि मप्र अनुसूचित जाति जनजाति पदोन्नति नियम 2002 में रोस्टर प्रथा होने के कारण ही मप्र हाईकोर्ट ने 2016 में इसे रद किया था।
समयमान वेतनमान पर सहमति नहीं
उपसमिति ने आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को समयमान वेतनमान देने का भी प्रस्ताव दिया है, लेकिन वे इस पर तैयार नहीं हैं। इधर सामान्य वर्ग कर्मचारी-अधिकारी संघ सपाक्स की मांग है कि पदोन्नति के नए नियम संवैधानिक प्रविधानों के मुताबिक ही बनाए जाएं। उन्होंने जनरल सिंह मामले का हवाला देकर कहा कि पदोन्नति में आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रविधान करना होगा, पर अजाक्स इसके लिए तैयार नहीं है। उनके संगठन ने मांग की कि उन्हें पदोन्नति में आरक्षण वैसा ही चाहिए, जैसा पूर्व में दिया जा रहा था।
हर बार पदोन्नति से पहले प्रतिनिधित्व का आकलन हो
समिति के समक्ष सपाक्स ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार रिक्त पदों पर पदोन्नति में आरक्षण डायनेमिक हो गया है। अब हर बार जब भी पदोन्नति करनी होगी तो पदोन्नत पद पर आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व का आकलन करना होगा और उसके बाद राज्य द्वारा निर्धारित रिप्रजेंटेशन अर्थात प्रतिनिधित्व के मापदंडों के अनुसार उतने पदों पर पदोन्नति होगी। इससे रोस्टर नाम की चीज खत्म हो गई है और जब रोस्टर खत्म हो गया है तो आरक्षित वर्ग अनारक्षित के पद पर कैसे आ सकता हैै?
02/09/2022 01:20 PM