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आखिर कार म्यांमार में सैन्य तख्तापलट,आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन मिंट गिरफ्तार: अमरीका-चीन की नजर, एक साल के लिए लगा आपातकाल।
म्यांमार (बर्मा)।
सेनीय कार्यवाही करते हुए म्यांमार (बर्मा) एक बार फिर सुर्खियों में है, पिछली घटनाओं को देखे तो म्यांमार में हिंसा, कत्लेआम जैसी घटनाएं आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन मिंट के कार्यकाल मेंं ही हुई थी, जिसका परिणाम कहें या ऊपर वाले की मार, या फिर ट्म्प की तरह एक बुरा अंत। म्यांमार में 10 साल पहले लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाई गई लेकिन देश में एक बार फिर सैन्य शासन लौट आया है। म्यांमार की सेना ने देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद सत्ता अपने हाथ में ले ली है। इन गिरफ्तारियों के बाद सैन्य स्वामित्व वाले टीवी चैनल मयावाडी से घोषणा की कि देश में एक साल तक आपातकाल रहेगा।
म्यांमार की राजधानी नेपीता और मुख्य शहर यंगून में सड़कों पर सैनिक मौजूद हैं। यहां बख्तरबंद वाहन गश्त कर रहे हैं और कई शहरों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बंद कर दी गई है। सैन्य टीवी चैनल ने बताया कि सेना ने देश को अपने नियंत्रण में ले लिया है। राष्ट्र्पति के दस्तखत वाली एक घोषणा के मुताबिक देश की सत्ता अब कमांडर-इन-चीफ ऑफ डिफेंस सर्विसेस मिन आंग ह्लाइंग के हाथों में रहेगी। देश के पहले उप राष्ट्रपति माइंट स्वे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है। उन्हें सेना प्रमुख का भी दर्ज दिया गया है। सेना ने कहा है कि उसने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि देश की स्थिरता खतरे में थी। जानकारी के मुताबिक, किसी भी विरोध को कुचलने के लिए सड़कों पर सेना तैनात है और फोन लाइनों को बंद कर दिया गया है।
म्यांमार के सरकारी चैनल एमआरटीवी ने तकनीकी समस्याओं का हवाला देते हुए प्रसारण बंद कर दिया है जिससे सूचनाओं का सही तरह से आदान-प्रदान रुक गया है। सैन्य कार्रवाई के चलते राजधानी नेपीता से संपर्क टूटने के कारण हालात बिगड़ गए हैं। यहां अंतरराष्ट्रीय प्रसारकों को ब्लॉक कर दिया गया है और स्थानीय स्टेशन ऑफ एयर हो गए हैं। यंगून में स्थानीय लोगों ने आने वाले दिनों में नकदी की कमी पड़ने की आशंकाओं के चलते एटीएम के सामने लाइन लगाना शुरू कर दिया है। म्यांमार बैंकिंग एसोशिएसन के मुताबिक, बैंकों ने कुछ समय के लिए सभी आर्थिक सेवाओं को रोक दिया है।
सेना ने कहा, आपातकाल के बाद होंगे चुनाव
म्यांमार की सेना ने कहा कि देश में एक साल का आपातकाल खत्म होने के बाद चुनाव होंगे। इस दौरान चुनाव आयोग में सुधार किया जाएगा और पिछले साल नवंबर में होने वाले चुनावों की समीक्षा भी की जाएगी। सेना ने दोहराया कि 8 नवंबर, 2020 को चुनावों में बड़े पैमाने पर मतदान के दौरान धोखाधड़ी हुई थी। बता दें कि इस चुनाव में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने 83 फीसदी सीटें जीत ली थीं। सेना और सरकार के बीच तभी से तनाव था जिसकी परिणति तख्तापलट के साथ हुई है।
सेना ने दी थी संविधान खत्म करने की चेतावनी
संसद के नए सत्र से पहले सेना ने चेतावनी दी थी कि चुनाव में वोट के फर्जीवाड़े की शिकायत पर यदि कार्रवाई नहीं हुई तो सेना कदम उठाएगी। इस हफ्ते सैन्य प्रवक्ता द्वारा तख्तापलट की संभावनाओं को खारिज करने से इनकार करने के बाद से ही देश में सियासी तनाव बढ़ गया था। वहीं, कमांडर इन चीफ ने यहां तक कह दिया कि यदि संविधान का पालन नहीं किया गया तो उसे वापस ले लिया जाएगा।
म्यांमार में 2011 तक सेना का शासन रहा है। आंग सान सू की ने कई साल तक देश में लोकतंत्र लाने के लिए लड़ाई लड़ी। इस दौरान उन्हें लंबे समय तक घर में नजरबंद रहना पड़ा। लोकतंत्र आने के बाद संसद में सेना के प्रतिनिधियों के लिए तय कोटा रखा गया। संविधान में ऐसा प्रावधान किया गया कि सू की कभी राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ सकतीं।
जो-बाइडन ने दी प्रतिक्रिया
बाइडन ने एक बयान में कहा, ‘बर्मा (म्यांमार) की सेना द्वारा तख्तापलट, आंग सान सू ची एवं अन्य प्राधिकारियों को हिरासत में लिया जाना और राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा देश में सत्ता के लोकतंत्रिक हस्तांतरण पर सीधा हमला है।’
उन्होंनेकहा, ‘लोकतंत्र में सेना को जनता की इच्छा को दरकिनार नहीं करना चाहिए। लगभग एक दशक से बर्मा के लोग चुनाव कराने, लोकतांत्रिक सरकार स्थापित करने और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण को लेकर लगातार काम कर रहे हैं। इस प्रगति का सम्मान किया जाना चाहिए।’अमेरिकी राष्ट्रपति ने वैश्विक समुदाय का भी आह्वान किया कि वह एक स्वर में म्यामांर की सेना पर दबाव डाले।
चीन ने दी प्रतिक्रिया
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है, 'म्यांमार में जो कुछ हुआ है, हमने उसका संज्ञान लिया है और हम हालात के बारे में सूचना जुटा रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'चीन, म्यांमार का मित्र और पड़ोसी देश है। हमें उम्मीद है कि म्यामां में सभी पक्ष संविधान और कानूनी ढांचे के तहत अपने मतभेदों को दूर करेंगे और राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता बनाए रखनी चाहिए।' चीन की इस प्रतिक्रिया को शक की नजरों से देखा जा रहा है।
02/02/2021 04:18 AM