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एएमयू शिक्षक का आजमगढ़ में व्याख्यान:
अलीगढ, 14 सितंबरः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अरबी विभाग के वरिष्ठ व्याख्याता प्रो. अबू सुफियान इस्लाही ने आजमगढ़ में स्थित छात्रों के मदर्सतूल इस्लाह और छात्राओं के जामियतुत तय्यबात में क्रमशः 'कुरान और मौलाना फराही को समझना' और 'कुरान को समझने में शब्दावली का महत्व' विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने भाषण में, उन्होंने मौलाना फराही के विद्वतापूर्ण व्यक्तित्व का परिचय दिया और उनकी तफसीर निजाम अल-कुरान और मुफरदात अल-कुरान की विशेषताओं का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने छात्रों से इस बात पर जोर दिया कि कुरान को समझने के लिए ईमानदारी जरूरी है। उन्होंने विशेष रूप से मौलाना फराही की विशिष्टता और उनके शोध गौरव पर प्रकाश डाला और कुरान में प्रयुक्त विभिन्न शब्दों जैसे समद, अला, अहव आदि पर उनके शोध में की गई कड़ी मेहनत का उल्लेख किया।
जमीअतुत तय्यबात में छात्राओं को संबोधित करते हुए उन्होंने मुफरदात अल-कुरान के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए और इस विषय से संबंधित महत्वपूर्ण ग्रंथ सूची सामग्री से परिचित कराया। उन्होंने सर सैयद, फराही और अल्ताफ आजमी द्वारा किये गए संज्ञाओं के शोध की व्यवस्था की ओर इशारा किया और इसे विभिन्न उदाहरणों के साथ स्पष्ट किया। प्रोफेसर इस्लाही ने बताया कि कुरान में ऐसे कई शब्द इस्तेमाल किए गए हैं कि अगर पाठक उन्हें सही ढंग से नहीं समझता है, तो वह उनकी व्याख्या में गलतफहमी का शिकार हो जाता है।
व्याख्यान के अंत में विद्यार्थियों ने प्रोफेसर इस्लाही से प्रश्न भी पूछे, जिनका उन्होंने उत्तर दिया।
09/14/2023 07:34 PM