Aligarh
गर्भाशय फाइब्रॉएड से पीड़ित महिला ने स्वस्थ बच्चे को दिया जन्म, सीके बिरला अस्पताल में हुआ सफल इलाज:
अलीगढ़ : सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में एक ऐसी महिला की नेचुरल डिलीवरी कराई है जो गर्भाशय फाइब्रॉएड (Uterine Fibroids) से पीड़ित थी. हालांकि, महिला की डिलीवरी के तीन महीने बाद लेप्रोस्कोपी के जरिए फाइब्रॉएड हटाए गए और गर्भाशय के छिद्र को बिना कैविटी खोले रीकंस्ट्रक्ट किया गया. 6 महीने बाद महिला ने दूसरी बार नेचुरल तरीके से गर्भधारण भी कर लिया और सामान्य तरीके से एक बच्चे को जन्म भी दिया।
पहली बार जब महिला प्रेग्नेंट हुई तब प्रसव से पहले कुछ हालत ठीक नहीं थी. वो एनीमिक की गंभीर अवस्था से जूझ रही थीं, स्किन पीली पड़ गई थी, और बीएमआई महज 20 थी. इस कंडीशन में महिला की सामान्य डिलीवरी बहुत जरूरी थी, जिसमें खून का बहाव नहीं होता और जल्दी रिकवरी हो जाती है. जबकि सिजेरियन में इन सबका खतरा रहता है।
सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग की डायरेक्टर डॉक्टर अरुणा कालरा ने कहा, ‘’जब मरीज हमारे पास पहुंचीं तो उन्हें पीरियड्स में देरी की शिकायत थी और तीन दिन से वजाइना से हल्का ब्लड आ रहा था यानी वजाइनल स्पॉटिंग की शिकायत थी. वो बहुत कमजोर लग रही थीं, पीलापन था और पतली हो गई थीं. हालांकि, महिला ने प्रेग्नेंसी के लिए घर पर जो यूरिन टेस्ट किया था वो पॉजिटिव था. लेकिन अस्पताल में सभी जांच की गईं. अल्ट्रासाउंड में पता चला कि महिला को 6 हफ्ते की प्रेग्नेंसी है. इसके साथ ही मल्टीपल गर्भाशय छिद्र का भी पता चला जो 6x6, 6x7 और 7x8 सेमी साइज के थे. महिला को एनीमिया भी था. फाइब्रॉएड होने के चलते महिला के पेट में क्रैम्प आने लगे थे, जिससे प्रसव से पहले के उनके पीरियड्स काफी रफ थे. हालांकि, उसके एनीमिया को आयरन थेरेपी से ठीक कर दिया गया और गर्भाशय को आराम देने वाली दवाओं और सूजन-रोधी दवाओं से प्रसव पीड़ा को रोका गया. महिला के भ्रूण के बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी, लेकिन फिर भी बॉडी ने ब्लड की आपूर्ति के लिए फाइब्रॉएड से लड़ते हुए 2.4 किलो वजन बढ़ा लिया. नेचुरल तरीके से महिला का योनि से 39 हफ्ते में प्रसव कराया गया.’’।
हालांकि, फाइब्रॉएड के कारण प्रेग्नेंसी में जानलेवा कंडीशन नहीं आती है, लेकिन शुरुआती हालत में प्रेग्नेंसी खोए जाने, समय से पहले बच्चे का जन्म, कम वजन का बच्चा पैदा होना का हाई रिस्क रहता है. साथ ही सिजेरियन डिलीवरी के चांस बढ़ जाते हैं. इस तरह के हालात में नॉर्मल डिलीवरी कराने के लिए बहुत ही एक्सपीरियंस डॉक्टरों की आवश्यकता पड़ती है।
इस महिला की सही तरह से डिलीवरी कराई गई और उसके 3 महीने बाद लेप्रोस्कोपी के जरिए मायोक्टोमी (फाइब्रॉएड हटाए गए) की गई. इसके साथ ही गर्भाशय का री-कंस्ट्रक्शन भी यूटरिन कैविटी को खोले बिना किया गया।
सर्जरी के 6 महीने बाद महिला एक बार फिर से नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट हो गई. इस बार महिला ऐसे गर्भाशय के साथ प्रेग्नेंट हुई जिसमें पहले दिक्कत हो चुकी थी. इसलिए अब महिला की मॉनिटरिंग और ज्यादा की गई. उम्मीद के मुताबिक, वजन के मामले में दूसरा बच्चा काफी बेहतर हो रहा था. मायोमेक्टोमी निशान के लिए भी लगातार निगरानी और देखभाल की गई. महिला ने फिर से नेचुरल तरीके से बच्चे को जन्म दिया, जिसका वजन 2.8 किलो था।।
03/14/2023 06:16 AM