सर्दियों में ब्रेन स्टॉक व हार्ट अटैक से केसे बचा जाए।:
समूचे उत्तर भारत में इस वक्त कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। इसका असर बच्चों से लेकर बड़ी उम्र के लोगों तक पर पड़ रहा है। इस तरह की कड़ाके सर्दियों में खांसी, जुकाम और बुखार के अलावा हृदयघात, ब्रेन स्ट्रोक और अस्थमा के अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। जरा सी चूक आपको ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का शिकार बना सकती है। हमारे आसपास कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनके शिकार हम कभी भी हो सकते हैं। ऐसे में हमें जरूरत है कि हम इन बीमारियों से खुद का बचाव करें। हमारा हेल्दी खानपान, हमारी अच्छी दिनचर्या, हमारा रोजाना व्यायाम करना, रात को समय पर सोना, सुबह समय पर उठना, समय पर खाना खाना आदि। ये वो चीजें हैं जो हमें स्वस्थ रखने में मदद करती हैं।
सर्दी बढ़ने के साथ हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ना तय है। सबसे खास बात कि अब ये दोनों की बीमारियां युवाओं को भी चपेट में ले रही हैं। मोटापा के शिकार, शुगर और उच्च रक्तचाप के मरीजों को ज्यादा खतरा रहता है। सर्दी के मौसम में ठंड हमारे शरीर के सिम्पटथेटिक नर्वस सिस्टम को उत्तेजित कर देती है, इससे हार्ट में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है, धड़कन भी बढ़ जाती है, जिससे हार्ट पर ज्यादा काम का दबाव पड़ता है। अत्यधिक ठंड के कारण हृदय के अलावा मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों की धमनियां सिकुड़ती हैं। इससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है और रक्त के थक्के (ब्लड क्लॉट) बनने की आशंका बढ़ती है। अक्सर लोग अत्यधिक सर्दी में आलस के कारण व्यायाम नहीं करते। खानपान में भी चिकनाईयुक्त खाद्य पदार्थ, नमकीन, चटपटी चीजें ज्यादा खाते हैं। यानी सर्दियों में हम वह सब करते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। सर्दियों में वायु प्रदूषण भी न केवल फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा प्रभावित करता है बल्कि हार्ट की पम्पिंग क्षमता को भी कम कर हार्ट फेलियर का कारण बन सकता है।
सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने के लगभग 53 प्रतिशत मामले सुबह के समय होते हैं। गर्मियों की तुलना में सर्दियों में हार्ट अटैक के मामले लगभग 30% बढ़ जाते हैं। इन्हें सावधानियां बरतकर काफी हद तक रोका जा सकता है। उच्चरक्तचाप, मधुमेह, हदय रोग या उच्च कोलस्ट्राल से पीडि़त रोगी को स्ट्रोक होने का खतरा अधिक होता है।
रोग ब्रेन स्ट्रोक-
लक्षण- शरीर के एक ही तरफ के हाथ या पैर में सुन्नपन, झनझनाहट, कमजोरी, सिरदर्द और चक्कर आना, अचानक लडख़ड़ाना, बोलने या समझने में मुश्किल, धीरे या अस्पष्ट बोलना, एक या दोनों आंखों से देखने में कठिनाई, बेहोशी, होंठ और आंख एक तरफ लटक जाए आदि।
बचाव- धूम्रपान, शराब का सेवन न करें, तनाव को हावी न होने दें, नियमित व्यायाम करें, मोटापा न बढ़ने दें।
रोग हार्ट अटैक-
लक्षण-सीने में तेज दर्द, सांस की दिक्कत, शरीर में भारीपन, पैर में सूजन रहना, घबराहट, सांस लेने में दिक्कत होना, अचानक पसीना आना, बेहोशी आना आदि।
बचाव-ठंड में ज्यादा से ज्यादा गरम कपड़े पहनें, सिर और मुंह को ढक कर रखें, तापमान कम है तो घर से बाहर न निकलें, गुनगुना पानी व गर्म पेय पदार्थ का सेवन करें, ऐसे ही पानी से नहाएं, घर में रहकर ही हल्का व्यायाम करें, धूप का आनंद लें, दोपहिया सवार हेलमेट अवश्य पहनें, ठंडे पेय पदार्थों को सेवन न करें।, तैलीय भोजन और जंक फूड न खाएं, पर्याप्त नींद लें, तनाव से दूर रहें, धूमपान व शराब का सेवन न करें, वजन पर नियंत्रण रखें, नियमित समयांतराल में रक्तचाप की जांच कराएं, ब्लड प्रेशर, शुगर के रोगी दवा बंद न करें।
आयुर्वेद विशेषज्ञ की मानें, तो सर्दी के मौसम में हम सभी को ऐसा आहार लेना चाहिए, जो शरीर को गर्म रखने के साथ ही इम्यूनिटी लेवल भी बढ़ाए तथा जो वात और कफ दोनों को शांत कर सके।
आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में सेवन करना चाहिए ये आहार-
शीत-ऋतु में चिकनाई, मधुर, लवण और अम्ल (खटाई) रस युक्त तथा पोषक तत्त्वों वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इन पदार्थों में शुद्ध गाय का घी, मक्खन, तेल, दूध, दूध-चावल की खीर, उड़द की खीर, मिश्री, रबड़ी, मलाई, गन्ने का रस, दलिया, हलवा, आँवले व सेब का मुरब्बा, पिट्ठी व मेवों से बने पदार्थ, मिठाई आदि उपयोगी हैं। अनाजों में अंकुरित चना, मूँग, उड़द, गेंहूँ या चने की रोटी, वर्षभर पुराने चावल, मौसमी फल जैसे- सेब, आँवला, संतरा आदि। सब्जियों में- परवल, पके लाल टमाटर, गाजर, सेम, मटर, पालक, बथुआ, मेथी आदि हरे शाक, सोंठ, गर्म जल व गर्म पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक और पोषक होते हैं। भोजन में मसाले शामिल करें, ड्राय फ्रूट्स का सेवन करे, सर्दियों में काढ़ा का सेवन करे ।
विहार (रहन-सहन)
प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ कर उषःपान, शौच, स्नानादि करके शुद्ध वायुसेवन के लिए भ्रमण करना चाहिए। इस ऋतु में व्यायाम का विशेष रूप से लाभ होता है। तेल मालिश, उबटन व सिर पर तेल लगाना उपयोगी होता है। सरसों के तेल की मालिश से त्वचा, सुन्दर और निरोग बनती है तथा फोड़े, फुंसियाँ नष्ट होते हैं। तेल में कपूर डाल कर मालिश करने से जोड़ों का दर्द और गठिया आदि में आराम मिलता है। अग्नि और धूप सेकना लाभदायक है।
सर्दियों में सेवन नहीं करना चाहिए
आहार-विहार
बासी तथा ठण्डे (आइक्रीम व ठण्डी प्रकृति वाले) पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। खटाई में इमली, अमचूर, खट्टा दही, केला, चावल, आम के अचार आदि का सेवन कम से कम ही करना चाहिए। देर रात तक जागना, सुबह देर तक सोये रहना, आलस्य में पड़े रहना, श्रम और व्यायाम न करना, देर तक भूखे रहना, अधिक स्नान, बहुत ठण्ड सहना, रात को देर से भोजन करना और भोजन के तुरन्त बाद सो जाना, ये सब अपथ्य विहार हैं, जिनसे बचकर रहना चाहिए।
डॉ राजेश जैन एम डी आयुर्वेद
मेडिसिन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी
12/12/2022 06:51 AM