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करनाल: तीन घंटे की बातचीत बेनतीजा रही, अब करनाल को दिल्ली बॉर्डर बनाने की तैयारी में किसान: सीएम खट्टर के लिए अच्छी खबर नहीं।
करनाल। हरियाणा के करनाल में किसानों और सरकार के बीच बातचीत नाकाम होने के बाद आज प्रदर्शनकारियों के रुख पर नजर रहेगी. मिनी सचिवालय के बाहर किसानों के धरने का आज तीसरा दिन है. किसानों ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वो करनाल में दिल्ली बॉर्डर की तर्ज पर धरना जारी रखेंगे. लेकिन सरकार ने फिलहाल झुकने के कोई संकेत नहीं दिए हैं।
सीएम खट्टर के लिए अच्छी खबर नहीं
किसानों का एक बड़ा जत्था हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) के निर्वाचन क्षेत्र करनाल में मिनी सचिवालय के बाहर डेरा डाले हुए है. किसान उस आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा (Aayush Sinha) के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं, जिन्होंने पिछले महीने प्रदर्शन कर रहे किसानों के एक समूह पर पुलिस लाठीचार्ज करने का आदेश दिया था।
सीआरपीसी की धारा 144 लागू करने, मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद करने, RAF की तैनाती और कई चेक पोस्ट और नाके लगाने जैसे सभी उपाय पोलिस और राज्य सरकार ने कि. इसके बाद भी किसान करनाल जिला मुख्यालय तक पहुंचने में कामयाब रहे और उन्होंने मिनी सचिवालय की घेराबंदी कर दी है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से कहा गया है, “यह राज्य सरकार के लिए बहुत बड़ी शर्मिंदगी है. मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र को बंधक बनाकर रखा गया है? इससे पता चलता है कि सरकार नियंत्रण खो रही है. ऐसा लग रहा है कि सरकार अब बैक फुट पर है ”।
आंदोलन को हल्के में लेना, खुद को धोखा देना है
एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि इस तरह की स्थिति सरकार के कामकाज की दृष्टि से अराजकतापूर्ण है, बल्कि पार्टी के लिए भी खतरनाक है. विडम्बना तो देखिए कि जिस पार्टी को पहली बार व्यापक जनादेश मिला था, वह दूसरे चुनाव में संख्या बरकरार नहीं रख सकी और उसे गठबंधन करने पर मजबूर होना पड़ा. सरकार को आम आदमी को नाराज नहीं करना चाहिए. एक अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि जो लोग किसान आंदोलन को हल्के में ले रहे हैं वे खुद को धोखा दे रहे हैं।
किसान करनाल में कैम्प क्यों कर रहे हैं?
यह सब 28 अगस्त को शुरू हुआ जब करनाल में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बस्तर टोल प्लाजा पर किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. किसान करनाल शहर की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे, जहां सीएम मनोहर लाल खट्टर सहित भाजपा नेता आगामी पंचायत चुनावों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक कर रहे थे. इसी बीच दूसरे नाका पर तैनात IAS आयुष सिन्हा का प्रदर्शनकारियों का सिर तोड़ने का फरमान जिस तरह से वायरल हुआ, उसे लेकर भी किसानों में रोष है. उस लाठीचार्ज में घायल एक किसान सुशील काजल की घर पर मौत भी हो गई. इसके बाद किसानों ने आईएएस के निलंबन, उसके और लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने, मृतक किसान के परिजनों को 25 लाख का मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने तथा लाठीचार्ज में घायल प्रत्येक किसान को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है. किसानों का कहना था कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती तो वे मिनी सचिवालय का घेराव करेंगे, और उन्होंने वही किया है।
यह खट्टर को कैसे प्रभावित कर रहा है?
यह कोई पहला मौका नहीं है, जब पुलिस ने करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज किया हो. इससे पहले भी इसी साल जनवरी में किसानों ने खट्टर का हेलिकॉप्टर कैमला गांव में नहीं उतरने दिया था. सीएम को इस कारण अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी थी. उस दौरान भी किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई थी. पिछले मई में हिसार में भी एक बार फिर किसानों पर उस वक्त लाठीचार्ज हुआ था, जब उनलोगों ने खट्टर के कार्यक्रम में बाधा पहुंचाने का प्रयास किया था. पिछले साल दिसम्बर में मुख्यमंत्री के काफिले पर अम्बाला में किसानों ने हमला किया था. मुख्यमंत्री के खिलाफ किसान गुस्से में क्यों हैं, इन घटनाओं से यह समझा जा सकता है।
दरअसल बुधवार को किसानों और सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत बेनतीजा खत्म हो गई. बातचीत तीन घंटे चली लेकिन इसमें भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है. किसान नेताओँ ने एलान कर दिया है कि एक मोर्चा अब करनाल में भी खुला रहेगा. किसान नेता राकेश टिकैत से लेकर पंजाब के किसान नेता तक इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं. सरकार किसानों को मुआवजे के लिए तो तैयार है लेकिन एसडीएम आयुष सिन्हा पर एक्शन के लिए तैयार नहीं है।
किसान एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करने की मांग को लेकर ही सड़कों पर उतरे हुए हैं. राकेश टिकैत ने कहा, ''अगर अधिकारी हमसे बात करेंगे तो हम बातचीत भी करेंगे, दिल्ली वाला प्रदर्शन भी हमारा जारी रहेगा, पहले अफसर पर कार्यवाही हो उसके बाद आगे की बात करेंगे, पहली मांग तो हमारी यहीं है उसके बाद आगे की बात करेंगे.''।
किसानों की मांगों पर फैसला लेने से कतरा रही सरकार
किसान नेताओं ने कहा है कि आम जनता अपना काम कराने के लिए सचिवालय आ सकती है, उन्हें नहीं रोका जाएगा, लेकिन धरना जारी रहेगा. उधर प्रशासन को उम्मीद है कि बातचीत से रास्ता निकल आएगा. प्रशासन भले ही सब ठीक कर लेने का दावा कर रहा हो लेकिन सरकार किसानों की मांगों पर फैसला लेने से कतरा रही है. खट्टर सरकार इस मुद्दे को जल्द सुलझाने के मूड में भी नहीं दिख रही. क्योंकि हरियाणा में चुनाव 2024 में होने वाले हैं. करनाल की सीमा यूपी से भी लगती है, जहां अगले कुछ महीनों में इलेक्शन है. ऐसे में अगर किसानों के गुस्से का केंद्र करनाल ही बना रहे तो यूपी में बीजेपी की मुश्किल कम होगी।
09/09/2021 04:40 AM